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भगवती सूत्र-२५ उ. ४ द्रव्यादि की अपेक्षा युग्म प्ररूपणा
समए जहा जीवत्थिकाए।
भावार्थ-७ प्रश्न-हे भगवन् ! पुद्गलास्तिकाय द्रव्यार्थ से कृतयुग्म ?
७ उत्तर-हे गौतम ! कदाचित् कृतयुग्म यावत् कदाचित् कल्योज भी होता है । अद्धासमय का कयन जीवास्तिकाय के समान है।
८ प्रश्न-धम्मत्थिकाए णं भंते ! पएसट्टयाए किं कडजुम्मेपुच्छा।
८ उत्तर-गोयमा ! कडजुम्मे, णो तेओए, णो दावरजुम्मे, णो कलिओगे । एवं जाव अद्धासमए ।
भावार्थ-८ प्रश्न-हे भगवन् ! धर्मास्तिकाय प्रदेशार्थ से कृतयुग्म है ?
८ उत्तर-हे गौतम ! कृतयुग्म है, किन्तु ज्योज, द्वापरयुग्म और कल्योज नहीं है । इसी प्रकार यावत् अद्धासमय पर्यंत ।
९ प्रश्न-एएसि णं भंते ! धम्मस्थिकाय अधम्मस्थिकाय० जाव अद्धासमयाणं दवट्ठयाए० ?
९ उत्तर-एएसि णं अप्पाबहुगं जहा बहुंवत्तव्वयाए तहेव गिरवसेसं ।
भावार्थ-९ प्रश्न- हे भगवन् ! धर्मास्तिकाय, अधर्मास्तिकाय यावत् अद्धासमय, इनमें व्यार्थ से कौन किससे अल्प यावत् विशेषाधिक है ?
९ उत्तर--हे गौतम ! प्रज्ञापना सूत्र के तीसरे बहुवक्तव्यता पद के अनुसार इन सब का अल्प-बहुत्व है।
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