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________________ ३२६६ भगवती सूत्र-२५ उ. ४ द्रव्यादि की अपेक्षा युग्म प्ररूपणा समए जहा जीवत्थिकाए। भावार्थ-७ प्रश्न-हे भगवन् ! पुद्गलास्तिकाय द्रव्यार्थ से कृतयुग्म ? ७ उत्तर-हे गौतम ! कदाचित् कृतयुग्म यावत् कदाचित् कल्योज भी होता है । अद्धासमय का कयन जीवास्तिकाय के समान है। ८ प्रश्न-धम्मत्थिकाए णं भंते ! पएसट्टयाए किं कडजुम्मेपुच्छा। ८ उत्तर-गोयमा ! कडजुम्मे, णो तेओए, णो दावरजुम्मे, णो कलिओगे । एवं जाव अद्धासमए । भावार्थ-८ प्रश्न-हे भगवन् ! धर्मास्तिकाय प्रदेशार्थ से कृतयुग्म है ? ८ उत्तर-हे गौतम ! कृतयुग्म है, किन्तु ज्योज, द्वापरयुग्म और कल्योज नहीं है । इसी प्रकार यावत् अद्धासमय पर्यंत । ९ प्रश्न-एएसि णं भंते ! धम्मस्थिकाय अधम्मस्थिकाय० जाव अद्धासमयाणं दवट्ठयाए० ? ९ उत्तर-एएसि णं अप्पाबहुगं जहा बहुंवत्तव्वयाए तहेव गिरवसेसं । भावार्थ-९ प्रश्न- हे भगवन् ! धर्मास्तिकाय, अधर्मास्तिकाय यावत् अद्धासमय, इनमें व्यार्थ से कौन किससे अल्प यावत् विशेषाधिक है ? ९ उत्तर--हे गौतम ! प्रज्ञापना सूत्र के तीसरे बहुवक्तव्यता पद के अनुसार इन सब का अल्प-बहुत्व है। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004092
Book TitleBhagvati Sutra Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size11 MB
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