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________________ भगवती सूत्र - २५ उ. ४ द्रव्यादि की अपेक्षा युग्म प्ररूपणा काय, अधर्मास्तिकाय यावत् अद्धासमय ( काल ) । ५ प्रश्न - धम्मत्थिकाए णं भंते ! दव्वट्टयाए किं कडजुम्मे जाव कलिओगे ? ३२६५ ५ उत्तर - गोयमा ! णो कडजुम्मे, णो तेयोए, णो दावरजुम्मे, कलिए | एवं अहम्मत्थिकाए वि, एवं आगासत्थिकाए वि । भावार्थ - ५ प्रश्न - हे भगवन् ! धर्मास्तिकाय द्रव्यार्थ से कृतयुग्म, यावत् कल्पोज रूप है ? ' ५ उत्तर - हे गौतम! धर्मास्तिकाय द्रव्यार्थ से कृतयुग्म नहीं, श्योज नहीं और द्वापरयुग्म भी नहीं है, किन्तु कल्योज रूप है । इसी प्रकार अधर्मास्तिकाय और आकाशास्तिकाय भी जानना चाहिये । ६ प्रश्न - जीवत्थिकाए णं भंते ! पुच्छा । ६ उत्तर - गोयमा ! कडजुम्मे, णो तेओए, णो दावरजुम्मे, णो कलिओए । Jain Education International भावार्थ - ६ प्रश्न - हे भगवन् ! जीवास्तिकाय द्रव्यार्थ से कृतयुग्म है० ? ६ उत्तर - हे गौतम ! जीवास्तिकाय द्रव्यार्थ से कृतयुग्म है, परन्तु sयोज, द्वापरयुग्म और कल्योज नहीं है । ७ प्रश्न - पोग्गलत्थिकाए णं भंते ! पुच्छा । ७ उत्तर - गोयमा ! सिय कडजुम्मे जाव सिय कलिओगे । अद्धा For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004092
Book TitleBhagvati Sutra Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size11 MB
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