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भगवती सूत्र २५ उ. ८ जीवों के उत्पन्न होने का उदाहरण
१ उत्तर - से जहाणामर पवर पवमाणे अज्झवसाणणिव्वत्तिपणं करणवाणं सेकाले त ठाणं विष्पजहित्ता पुरिम ठाणं उवसंपज्जित्ता णं विरइ, एवामेव एए वि जीवा पवओ विव पत्रमाणा अज्झ वसाणणिव्वत्तिणं करणोवाएणं सेयकाले तं भवं विष्पजहित्ता पुरिमं भवं उवसंपज्जित्ता णं विहरति ।
कठिन शब्दार्थ - - पव लवक - कूदने वाला, पवमाणे- प्लवमान - कूदता हुआ । भावार्थ - ? प्रश्न - राजगृह नगर में गौतम स्वामी ने यावत् इस प्रकार पूछा- हे भगवन् ! नरयिक जीव किस प्रकार उत्पन्न होते हैं ?
१ उत्तर - हे गौतम! जिस प्रकार कोई पुरुष कूदता हुआ अध्यवसाय निर्वार्तित क्रिया साधन द्वारा उस स्थान को छोड़ कर भविष्यत्काल में अगले स्थान को प्राप्त होता है, उसी प्रकार जीव भी अध्यवसाय निर्वर्तित क्रिया साधन द्वारा अर्थात् कर्मों द्वारा पूर्वभव को छोड़ कर भविष्यत्काल में उत्पन्न होने योग्य भव को प्राप्त हो कर उत्पन्न होते हैं ।
३५.४१
२ प्रश्न - तेसि णं भंते! जीवाणं कहं सीहा गई, कहं सीह गडविसप पण्णत्ते ?
२ उत्तर - गोयमा ! से जहाणामए केड़ पुरिसे तरुणे वलवं एवं जहा चोदसमसए पढमुद्देसर जाव तिसमएण वा विग्गहेणं उववज्जंति, तेसि णं जीवाणं तहा सीहा गई, तहा सीहा गइविसए पण्णत्ते ।
भावार्थ-२ प्रश्न - हे मगवन् ! उन नैरयिक जीवों को शीघ्र गति और शीघ्र गति का विषय कैसा होता है ?
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