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अवान्तर शतक ३-५
-एवं णीललेस्सेहि वि तइयं सयं । काउलेस्सेहि नि सयं । एवं चेव चउत्थं सयं । भविसिद्धियएहि वि सयं पंचमं समत्तं ।
॥ चोत्तीसइमे सए ३-५ सयाई समत्ताई ॥ भावार्थ-इसी प्रकार नीललेश्या वाले जीव का तीसरा शतक, कापोतलेश्या वाले का चौथा शतक तथा भवसिद्धिक एकेन्द्रिय जीव का पांचवां शतक है।
॥ चौतीसवें शतक के ३-५ अवान्तर शतक सम्पूर्ण ॥
अवान्तर शतक ६
१ प्रश्न-कइविहा णं भंते ! कण्हलेस्सा भवसिद्धिया एगिदिया पण्णत्ता ?
१ उत्तर-एवं जहेव ओहियउद्देसओ।
भावार्थ-१ प्रश्न-हे भगवन् ! कृष्णलेश्या वाले भवसिद्धिक एकेन्द्रिय जीव कितने प्रकार के कहे हैं ?
१ उत्तर-हे गौतम ! औधिक उद्देशकानुसार ।
२ प्रश्न-कइविहा णं भंते ! अणंतरोववण्णा कण्हलेस्सा भवसिद्धिया एगिंदिया पण्णता ?
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