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भगवती सूत्र - श ३५ अवान्तर शतक १ उ. ३--११
१ प्रश्न - चरमचरमसमयकडजुम्मकडजुम्मए गिंदिया णं भंते ! कओ उववज्जति ?
१ उत्तर - जहा चउत्थो उद्देसओ तहेव णिरवसेसं ॥ ३५-१-१०॥ भावार्थ - १ प्रश्न - हे भगवन् ! चरम चरम समय के कृतयुग्मकृतयुग्म एकेन्द्रिय जीव कहाँ से आते हैं ?
१ उत्तर - हे गौतम ! चौथे उद्देशक के अनुसार संपूर्ण । ३५-१-१० ।
१ प्रश्न - चरम अचरमसमयकडजुम्मकडजुम्मए गिंदिया णं भंते ! कओ उववज्जंति ?
१ उत्तर - जहा पढमसमयउद्देसओ तहेव णिरवसेसं । * 'सेवं भंते ! सेवं भंते !' त्ति जाव विहरइ ।
३५-१-११
एवं एए एकरस उद्देगा। पढमो तइओ पंचमओ य सरिसगमा, सेसा अट्ट सरिसगमगा । णवरं चउत्थे अट्टमे दसमे य देवाण उववज्जति । तेउलेस्सा णत्थि ।
|| पणतीस मे सए पढमं एगिंदियमहाजुम्मसयं समत्तं ॥
भावार्थ - १ प्रश्न - हे भगवन् ! चरम-अचरम समय के कृतयुग्मकृतयुग्म राशि एकेन्द्रिय जीव कहां से आते हैं ?
१ उत्तर - हे गौतम! प्रथम समय के उद्देशक के अनुसार । ३५-१-११। इस प्रकार ये ग्यारह उद्देशक हैं । इनमें से पहला, तीसरा और पांचवां, ये तीन उद्देशक एक समान पाठ वाले हैं, शेष आठ उद्देशक एक समान हैं, किन्तु चौथा, आठवां और दसवां, इन तीन उद्देशक में देव का
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