Book Title: Bhagvati Sutra Part 07
Author(s): Ghevarchand Banthiya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 678
________________ विषय शतक उद्देशक भाग पृष्ठ २५ जीवों के पापकर्मों के बंध की अपेक्षा भेद है। ___ धनुष का दृष्टान्त १८ ३ ६ २६८८ -- ९० जुम्मा (युग्म ) चार का जीवादि २६ संबंधी वर्णन १८ ४ ६ ६६९५-- ९९ जीव जिस गति में रहता है, उसी के आयुष्य का वेदन करता है तथा परभव का आयुष्य सन्मुख करता है १८ ५ ६ २७०४- ५ जिनान्तर २३, सात जिनांतरों में कालिक सूत्रों का विच्छेद २० ८ ६ २६०४- ६ जंघाचारण विद्याचारण की शीघ्र गति ६ २९११-- १८ जीव के १४ भेद, उनके जघन्य उत्कृष्ट योग २५ १ ७ ३१९७---३२०६ जीव द्रव्य अनन्त है '७ ३२०६८ जीव, अजीव द्रव्यों से शरीर आदि १४ निष्पन्न ___करता है । असंख्य लोक में अनन्त द्रव्य हैं २५ २ .७ ३२०८- १२ जीव द्वारा शरीरादि रूप से ग्रहीत स्थित, अस्थित पुद्गलों का द्रव्य, क्षेत्र, काल, भाव २५ २ ७ ३२१२जुम्मा चार का द्रव्य प्रदेश, अवगाहना .. . स्थिति और पर्याय का तत्संबंधी वर्णन २५ ४ ७ ३२६२--- ८० जुम्मा (क्षुल्लक युग्मादि) का उत्पाद आदि वर्णन . ३१ १-२८ ५ ३६४०- ५७ जुम्मा का उद्वर्तना वर्णन २ १-२८ ७ ३६५८- ६० अन्तर शतक जुम्मा (एकेंद्रियादि महायुग्म) १२ ३५ १३२ ७ ३७३०- ५८ " . बेइंद्रियादि " ३६ १३२ ७ ३७५९- ६४ तेइंद्रियादि ३७ १३२ ७.३७६५ " पारिद्रिय " ३८ ... १३२ ७ ३७६६ " असंज्ञी पंचेंद्रिय " ३६ १३२ ७ ३७६७ " संशी पंचेंद्रिय " ४० : २१ ७. ३७६८-८६ " राशि युग्म वर्णन . ४१ १९६ ७ . ३७८७-३८१४ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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