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शतक ३७
। (तेइन्द्रिय महायुग्म) १ प्रश्न-कडजुम्मकडजुम्मतेइंदिया णं भंते ! कओ उववजति ? .:. १ उत्तर-एवं तेइंदिएसु वि बारस सया कायव्वा बेइंदियसयसरिसा । णवरं ओगाहणा जहण्णेणं अंगुलस्स असंखेजहभाग, उको. सेणं तिण्णि गाउयाइं । ठिई जहण्णेणं एक्कं समय, उक्कोसेणं एकूणवणं राइंदियाई, सेसं तहेव ।
* 'सेवं भंते ! सेवं भंते !' ति . ॥ तेइंदियमहाजुम्मसया समत्ता ॥. .
॥ सत्ततीसइमं सयं समत्तं ।। भावार्थ-१ प्रश्न-हे भगवन् ! कृतयुग्मकृतयुग्म राशि तेइन्द्रिय जीव कहां से आते हैं ?
.१ उत्तर-हे गौतम ! बेइन्द्रिय शतक के समान ते इन्द्रिय जीवों के भी बारह शतक हैं । विशेष में अवगाहना जघन्य अंगुल के असंख्यातवें भाग और उत्कृष्ट तीन गाऊ । स्थिति जघन्य एक समय और उत्कृष्ट ४९ रात्रि-दिन की होती है । शेष पूर्ववत् । ।
'हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है । हे भगवन् ! यह इसी प्रकार हैकह कर गौतम स्वामी यावत् विचरते हैं।
|| सेंतीसवाँ सतक सम्पूर्ण ॥
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