Book Title: Bhagvati Sutra Part 07
Author(s): Ghevarchand Banthiya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 670
________________ - - - विषय शतक उद्देशक भाग पृष्ठ उत्पल, कमल आदि का अधिकार ११ १-८ उदायन राजा व उनके पुत्र अभीचिकुमार का वर्णन १३ ६ उन्माद के दोनों भेद चौबीस दण्डकों में १४ २ उपयोग व पश्यता के भेदों पर प्रज्ञापना का निर्देश १६ ७ उदायी व भूतानंद नामक हाथियों के चार भव १७ १ उपधि, परिग्रह व प्रणिधान के भेद-प्रभेद १८ ७ ५ ५ ५ ६ ४ १८४३-- ७२ ५ २२३१-- ४५ २२८७-- ९१ २५७१-- ७३ २१९४-- ६५ २७१५-- २० ऋषभदत्त-देवानंदा वर्णन . ___ ९ ३३ ४ १६९०--१७०४ एकान्त बाल, एकान्त पंडित तथा बालपंडितााद ___का आयुष्य बंध एक समय में एक ही वेद वेदन का अधिकार २ ५ १ ४५९-- ६२ एक जीव एक समय में एक ही वेदना वेदता है, आयुष्य बंध पर जाल का दृष्टान्त ५ ३ .२ ७८७--.७९० एवंता मुनिवर का वर्णन ----- ५ . ४ २ ८०५- ९ एवंभूत व अनेवंभूत वेदना का अधिकार ५ ५. २ ८३३- ३६ एक आकाश प्रदेश में जघन्य उत्कृष्ट जीव-प्रदेश - और सभी जीवों की अल्प-बहुत्व टीका में निगोद छत्तीसी का वर्णन ११ १० ४ १९११-- १४ एक भी प्राणी के दण्ड से निवृत जीव एकान्त बाल नहीं, बालपण्डित है, आदि . १७ २ ५ २६०७--- १. एजना शंलेशी अवस्था में नहीं होती, भेद प्रभेद १७ ३ ५ २६१५-- १८ एकेंद्रिय में समाहार व समलेश्याएं संबंधी प्रश्न १७ १२ ५ २६४०- ४२ एकाभवावतारी पृथ्वी, पानी, वनस्पति में है १८ ३ ६ २६७४-- ७९ एकेंद्रिय शतक, अन्तर शतक १२, एकेंद्रियों के कर्म-बंधन, वेदन आदि ३३ १२४ ७ ३६६१- ४३ एकेंद्रिय श्रेणी-शतक ३४ १२-३ ७ ३६८४--३७२९ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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