Book Title: Bhagvati Sutra Part 07
Author(s): Ghevarchand Banthiya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 637
________________ ३७८८ भगवती सूत्र-श. ४१ उ. १ १ उत्तर-हे गौतम ! राशि-युग्म चार कहे हैं । यथा-कृतयुग्म, व्योज, द्वापरयुग्म और कल्योज । प्रश्न-हे भगवन् ! ऐसा क्यों कहा कि राशि-युग्म चार कहे हैं । यथाकृतयुग्म यावत् कल्योज ? उत्तर-हे गौतम ! जिस राशि में से चार-चार का अपहार करते हुए अन्त में चार शेष रहें, उस राशि-युग्म को 'कृतयुग्म' कहते हैं, यावत् जिस राशि में से चार-चार का अपहार करते हुए अन्त में एक शेष रहे, उस राशि युग्म को 'कल्योज' कहते हैं । इस कारण हे गौतम ! यावत् कल्योज कहलाता है। २ प्रश्न-रासीजुम्मकडजुम्मणेरइया णं भंते ! कओ उववनंति ? २ उत्तर-उववाओ जहा वकंतीए । भावार्थ-२ प्रश्न-हे भगवन् ! कृतयुग्म राशि नैरयिक कहां से आते हैं ? २ उत्तर-हे गौतम ! उपपात प्रज्ञापना सूत्र के छठे व्युत्क्रान्ति पद के अनुसार। ३ प्रश्न ते णं भंते ! जीवा एगसमएणं केवइया उववनंति ? ३ उत्तर-गोयमा ! चत्तारि वा अट्ठ वा बारस वा सोलस वा संखेजा वा असंखेज्जा वा उववजंति । भावार्थ-३ प्रश्न-हे भगवन् ! वे जीव एक समय में कितने उत्पन्न होते हैं? ३ उत्तर-हे गौतम ! चार, आठ, बारह, सोलह, संख्यात या असंख्यात उत्पन्न होते हैं। ४ प्रश्न ते णं भंते ! जीवा किं संतरं उववजंति, णिरंतर उववज्जति ? Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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