Book Title: Bhagvati Sutra Part 07
Author(s): Ghevarchand Banthiya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 663
________________ ३८१४ भगवती सूत्र-स. ४१ उपसंहार बेइन्द्रिय, तेइन्द्रिय, चौरिन्द्रिय और असंजी-पञ्चेन्द्रिय के बारह-बारह शतकों का वांचन तथा संज्ञी-पञ्चेन्द्रिय के इक्कीस महायुग्म शतकों का और राशियुग्म शतकों का वांचन एक-एक दिन में करना चाहिये। जिसके हाथ में विकसित कमल है, जिसने अज्ञान का नाश किया है और जिसको बुध (पण्डित) तथा विवुधों (देवों) ने सदा नमस्कार किया है, ऐसी श्रुताधिष्ठित देवी मुझे बुद्धि दे ॥ १॥ जिसकी कृपा से ज्ञान की शिक्षा मिली है, उस श्रुत-देवता को नमस्कार करता हूँ और शान्ति करने वाली प्रवचन देवी को भी नमस्कार करता हूँ ॥२॥ श्रुतदेवता, कुम्भधरयक्ष, ब्रह्मशान्ति वैरोटयादेवी विद्या और अन्त हुण्डी लेखक के लिये अविघ्न प्रदान करे अर्थात् उसके कार्य में कोई विघ्न न आवे ॥३॥ ॥ भगवती सूत्र सम्पूर्ण ॥ RMA A 1: 21.. E टपON प Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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