Book Title: Bhagvati Sutra Part 07
Author(s): Ghevarchand Banthiya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 619
________________ भगवती सूत्र - श. ४० अवान्तर शतक १ बंगा वा छविबंधगा वा एगविहबंधगा बा ? ३ उत्तर - गोयमा ! सत्तविहबंधगा वा जाव एगविहबंधगा वा । भावार्थ - ३ प्रश्न - हे भगवन् ! क्या वे जीव सप्तविध कर्म बन्धक, अष्टविद्य कर्मबन्धक, षविध कर्म बन्धक या एकविध कर्म-बन्धक होते हैं ? ३ उत्तर - हे गौतम! वे सप्तविध कर्म-बन्धक यावत् एकविध कर्मबन्धक होते हैं । ३७७० ४ प्रश्न - ते णं भंते ! जीवा किं आहारसण्णोवउत्ता जाव परिग्गहसण्णोवउत्ता वा णोसण्णोवउत्ता वा ? सव्वत्थ पुच्छा भाणि - यव्वा । ४ उत्तर - गोयमा ! आहारसण्णोवउत्ता जाव णोसण्णोवउत्ता वा । कोहकसायी वा जाव लोभकसायी वा अकसायी वा । इत्थीवेयगा वा पुरिसवेयगा वा पुंसगवेयगा वा अवेयगा वा । इत्थवेयबंधना वा पुरिसवेयबंधगा वा णपुंसगवेयबंधगा वा अबंधगा वा । सण्णी, णो असण्णी । सइंदिया, जो अनिंदिया। संचिट्टणा जहण्णेणं एक्कं समयं उक्कोसेणं सागरोवमसयपुहुत्तं साइरेगं । आहारो तहेव जाव णियमं छद्दिसिं । ठिई जहणेणं एक्कं समयं उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाई । छ समुग्धाया आदिलगा । मारणंतियसमुग्धाएणं समोहया चिमरंति, असमोहया वि मरंति । उव्वट्टणा जहेव उववाओ, ण कत्थइ पडिसेहो जाव अणुत्तरविमाण त्ति । 9 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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