________________
भगवती
सूत्र - श. ३४ अवान्तर शतक ६ विग्रहगति
२ उत्तर - जहेब अंतरोववण्णउद्देसओ ओहिओ तहेव ।
भावार्थ-२ प्रश्न - हे भगवन् ! अनन्तरोपपन्नक कृष्णलेश्या वाले भवसिद्धिक एकेन्द्रिय जीव कितने प्रकार के कहे हैं ?
२ उत्तर - हे गौतम! अनन्तरोपपन्नक सम्बन्धी औधिक उद्देशकानुसार ।
३७२७
३ प्रश्र - काइविहा णं भंते! परंपरोववण्णा कण्हलेस्सा भवसिद्धियए गिंदिया पण्णत्ता ?
३ उत्तर - गोयमा ! पंचविहा परंपरोववण्णा कण्हलेस्सभवसिद्धियए गिंदिया पण्णत्ता - ओहिओ भेओ चउकओ जाव वर्णस्सहकाइयति ।
Jain Education International
भावार्थ - ३ प्रश्न - हे भगवन् ! परम्परोपपन्नक कृष्णलेश्या वाले मवसिद्धिक एकेन्द्रिय जीव कितने प्रकार के कहे हैं ?
३ उत्तर - हे गौतम! परम्परोपपत्रक कृष्णलेश्या वाले भवसिद्धिक एकेन्द्रिय जीव पाँच प्रकार के कहे हैं । इस प्रकार औधिक चार-चार भेद यावत् वनस्पतिकायिक पर्यन्त ।
४ प्रश्न - परंपरोववण्ण - कण्हलेस्स भवसिद्धिय अपज्जत्त सुहमपुढंविकाइए णं भंते ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए ?
४ उत्तर - एवं एएवं अभिलावेणं जहेव ओहिओ उद्देसओ जाव लोयचरमंतेति । सव्वत्थ कण्हलेस्सेसु भवसिद्धिएसु उववाएयव्वो । भावार्थ-४ प्रश्न - हे भगवन् ! जो परम्परोपपन्नक कृष्णलेश्या वाला
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org