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भगवती सूत्र - श. ३३ अवान्तर शतक १
१३ प्रश्न - पज्जत्तबायरवणस्सइकाया णं भंते ! कइ कम्मप्पगडीओ वेदेंति ?
१३ उत्तर--गोयमा ! एवं चेव चोइस कम्मप्पगडीओ वेदेंति ।
* 'सेवं भंते ! सेवं भंते !' ति । ३३ - १ ।
भावार्थ - १३ प्रश्न - हे भगवन् ! पर्याप्त बादर वनस्पतिकायिक जीव कर्म-प्रकृतियां कितनी वेदते हैं ?
१३ उत्तर - हे गौतम! पूर्ववत् चौदह कर्म-प्रकृतियां वेदते हैं ।
'हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है। हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है'कह कर गौतम स्वामी यावत् विचरते हैं ।
उद्देशक २
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१ प्रश्न कइ विहा णं भंते ! अनंतरोववण्णगा एगिंदिया पण्णत्ता ?
१ उत्तर- गोयमा ! पंचविहा अनंतरोववण्णगा एगिंदिया पण्णत्ता, तं जहा -- पुढविकाइया जाव वणस्सइकाइया |
भावार्थ - १ प्रश्न - हे भगवन् । अनन्तरोपपत्रक ( तत्काल उत्पन्न हुए) एकेन्द्रिय जीव कितने प्रकार के कहे हैं ?
१ उत्तर - हे गौतम! अनन्तरोपपत्रक एकेन्द्रिय पांच प्रकार के कहे । यथा- पृथ्वीकायिक यावत् वनस्पतिकायिक |
२ प्रश्न - अनंतशेववण्णगा णं भंते ! पुदविकाइया कविहा
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