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भगवती सूत्र - श. ३३ अवान्तर शतक ६
भावार्थ - २ प्रश्न - हे भगवन् ! कृष्णलेश्या वाले मवसिद्धिक पृथ्वीकायिक जीव कितने प्रकार के कहे हैं ?
२ उत्तर - हे गौतम! दो प्रकार के कहे हैं । यथा - सूक्ष्म पृथ्वीकायिक और बादर पृथ्वीकायिक ।
३ प्रश्न – कण्डलेस्सभवसिद्धियसुहुमपुढविकाइया णं भंते ! कइ विहा पण्णत्ता ?
३ उत्तर - गोयमा ! दुविहा पण्णत्ता, तं जहा - पज्जत्तगा य अपजत्तगा य । एवं बायरा वि । एएणं अभिलावेणं तदेव चउकओ भेओ भाणियव्वो ।
भावार्थ - ३ प्रश्न - हे भगवन् ! कृष्णलेश्या वाले भवसिद्धिक सूक्ष्म पृथ्वीकायिक जीव कितने प्रकार के कहे हैं ?
३ उत्तर - हे गौतम ! दो प्रकार के कहे हैं। यथा-पर्याप्तक और अपर्याप्तक । इसी प्रकार बादर पृथ्वीकायिक के भी दो भेद हैं । इसी अभिलाप से उसी प्रकार चार भेद कहना चाहिये ।
४ प्रश्न—कण्डलेस्सभवसिद्धियअपजत्त सुहुमपुढविकाइयाणं भंते ! क कम्म पगडीओ पण्णत्ताओ ?
४ उत्तर - एवं एएणं अभिलावेणं जहेव ओहिउद्देसए तहेव जाव वेदेंति ।
भावार्थ-४ प्रश्न - हे भगवन् ! कृष्णलेश्या वाले मवसिद्धिक अपर्याप्त सूक्ष्म पृथ्वीकायिक जीव के कर्म प्रकृतियाँ कितनी कही हैं ?
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