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भगवती सूत्र-श. ३४ अवान्नर शराय १ उ. १ विग्रहगनि
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चरमान्त में उपपात कहना चाहिये ।
२६ प्रश्न-अपजत्नसुहुमपुढविकाइए णं भंते ! लोगस्स दाहि. पिल्ले परिमंते समोहए, समोहणित्ता जे भविए लोगस्स दाहिणिल्ले चेव चरिमंते अपजत्तसुहुमपुढविकाइयत्ताए उववजित्तए ? । ___२६ उत्तर-एवं जहा पुरच्छिमिल्ले समोहओ पुरन्छिमिल्ले चेव उववाइओ तहेव दाहिणिल्ले समोहए दाहिणिल्ले चेव उववाएयव्वो, तहेव गिरवसेस जाव सुहुमवणस्सइकाइओ पजत्तओ सुहुमवणस्सइ. काइएसु चेव पन्जत्तएसु दाहिणिल्ले चरिमंते उववाएयव्वो, एवं दाहिपिल्ले समोहओ पचच्छिमिल्ले चरिमंते उववाएयब्यो । णवरं दुसमइय-तिसमइय चउसमइय विग्गहो, सेसं तहेव । दाहिणिल्ले समोहओ उत्तरिल्ले चरिमंते उववाएयवो जहेव सट्टाणे तहेव । एगसमइय. दुसमइय-तिसमइय-चउसमइय घिग्गहो । पुरच्छिमिल्ले जहा पञ्चच्छि. मिल्ले, तहेव दुसमइय-तिसमइय-घउसमइय विग्गहो । पञ्चच्छिमिल्ले य चरिमंते समोहयाणं पच्छिमिल्ले चेव उपवजमाणाणं जहा सट्टाणे।
. भावार्थ -२६ प्रश्न-हे भगवन् ! जो अपर्याप्त सूक्ष्म पृथ्वीकायिक जीव, लोक के दक्षिण चरमान्त में मरण-समुद्घात कर के लोक के दक्षिण चरमान्त में ही अपर्याप्त सूक्ष्म पृथ्वीकायिकपने उत्पन्न हो तो. ?
.. २६ उत्तर-हे गौतम ! जिस प्रकार पूर्व चरमान्त में समधात कर के पूर्व परमान्त में ही उपपात कहा, उसी प्रकार दक्षिण चरमान्त में समुद्धात
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