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________________ ३६७८ भगवती सूत्र - श. ३३ अवान्तर शतक ६ भावार्थ - २ प्रश्न - हे भगवन् ! कृष्णलेश्या वाले मवसिद्धिक पृथ्वीकायिक जीव कितने प्रकार के कहे हैं ? २ उत्तर - हे गौतम! दो प्रकार के कहे हैं । यथा - सूक्ष्म पृथ्वीकायिक और बादर पृथ्वीकायिक । ३ प्रश्न – कण्डलेस्सभवसिद्धियसुहुमपुढविकाइया णं भंते ! कइ विहा पण्णत्ता ? ३ उत्तर - गोयमा ! दुविहा पण्णत्ता, तं जहा - पज्जत्तगा य अपजत्तगा य । एवं बायरा वि । एएणं अभिलावेणं तदेव चउकओ भेओ भाणियव्वो । भावार्थ - ३ प्रश्न - हे भगवन् ! कृष्णलेश्या वाले भवसिद्धिक सूक्ष्म पृथ्वीकायिक जीव कितने प्रकार के कहे हैं ? ३ उत्तर - हे गौतम ! दो प्रकार के कहे हैं। यथा-पर्याप्तक और अपर्याप्तक । इसी प्रकार बादर पृथ्वीकायिक के भी दो भेद हैं । इसी अभिलाप से उसी प्रकार चार भेद कहना चाहिये । ४ प्रश्न—कण्डलेस्सभवसिद्धियअपजत्त सुहुमपुढविकाइयाणं भंते ! क कम्म पगडीओ पण्णत्ताओ ? ४ उत्तर - एवं एएणं अभिलावेणं जहेव ओहिउद्देसए तहेव जाव वेदेंति । भावार्थ-४ प्रश्न - हे भगवन् ! कृष्णलेश्या वाले मवसिद्धिक अपर्याप्त सूक्ष्म पृथ्वीकायिक जीव के कर्म प्रकृतियाँ कितनी कही हैं ? Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004092
Book TitleBhagvati Sutra Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size11 MB
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