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________________ ३६६६ भगवती सूत्र - श. ३३ अवान्तर शतक १ १३ प्रश्न - पज्जत्तबायरवणस्सइकाया णं भंते ! कइ कम्मप्पगडीओ वेदेंति ? १३ उत्तर--गोयमा ! एवं चेव चोइस कम्मप्पगडीओ वेदेंति । * 'सेवं भंते ! सेवं भंते !' ति । ३३ - १ । भावार्थ - १३ प्रश्न - हे भगवन् ! पर्याप्त बादर वनस्पतिकायिक जीव कर्म-प्रकृतियां कितनी वेदते हैं ? १३ उत्तर - हे गौतम! पूर्ववत् चौदह कर्म-प्रकृतियां वेदते हैं । 'हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है। हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है'कह कर गौतम स्वामी यावत् विचरते हैं । उद्देशक २ .. १ प्रश्न कइ विहा णं भंते ! अनंतरोववण्णगा एगिंदिया पण्णत्ता ? १ उत्तर- गोयमा ! पंचविहा अनंतरोववण्णगा एगिंदिया पण्णत्ता, तं जहा -- पुढविकाइया जाव वणस्सइकाइया | भावार्थ - १ प्रश्न - हे भगवन् । अनन्तरोपपत्रक ( तत्काल उत्पन्न हुए) एकेन्द्रिय जीव कितने प्रकार के कहे हैं ? १ उत्तर - हे गौतम! अनन्तरोपपत्रक एकेन्द्रिय पांच प्रकार के कहे । यथा- पृथ्वीकायिक यावत् वनस्पतिकायिक | २ प्रश्न - अनंतशेववण्णगा णं भंते ! पुदविकाइया कविहा Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004092
Book TitleBhagvati Sutra Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size11 MB
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