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भगवती सूत्र-श. २६ उ. ४ अनन्तरावगाढ़ बन्धक
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": " पाप-कर्म का यह पहला सामान्य दण्डक और आठ कर्मों के आठ दण्डक, ये नौ दण्डक पहले उद्देशक में कहे हैं, वे ही नौ दण्डक इस उद्देशक में भी कहने चाहिये।
॥ छब्बीमवें शतक का तीसरा उद्देशक सम्पूर्ण ॥.....
शतक २६ उद्देशक ४
अनन्तरावगाढ़ बन्धक
१ प्रश्न-अणंतरोगाढए णं भंते ! णेरइए पावं कम्मं किं बंधीपुच्छा ।
१ उत्तर-गोयमा.! अत्थेगहए एवं जहेक अणंतरोववण्णएहिं णवदंडगसंगहिओ उद्देसो भणिओ तहेव अणंतरोगाढएहि वि अहीणमहरित्तो भाणियब्वो णेरइयाईए जाव वेमाणिए ।
* 'सेवं भंते ! सेवं भंते !' ति ® . ॥ छवीसहमे बंधिसए चउत्थो उद्देसो समत्तो ॥ भावार्थ-१ प्रश्न-हे भगवन् ! अनन्तरावगाढ़ नैरयिक ने पाप-कर्म बांधा था.?
१ उत्तर-हे गौतम | जिस प्रकार अनन्तरोपपन्नक के नौ दण्डक सहित
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