________________
भगवती सूत्र - श २५ उ. ७ ऊन दरी तप
यथा - उपकरण द्रव्य अवमोदरिका और भक्तपान द्रव्य अवमोदरिका ।
११२ प्रश्र - से किं तं उवगरणदव्वोभोयरिया ?
११२ उत्तर- उनगरणदव्वोमोयरिया तिविद्या पण्णत्ता, (तं जहा--) एगे वत्थे, एगे पादे, चित्तोवगरणसाइज्जणया । सेत्तं ज्वगरणदव्वोमोयरिया |
३५०५
भावार्थ - ११२ प्रश्न - हे भगवन् ! उपकरण द्रव्य अवमोदरिका कितने प्रकार की है ?
११२ उत्तर - गौतम ! उपकरण द्रव्य अवमोदरिका तीन प्रकार की कही है । यथा - एक वस्त्र, एक पात्र और व्यक्तोपकरणस्वदनता । यह उपकरण द्रव्य अवमोदरिका हुई ।
११३ प्रश्न - से किं तं भत्तपाणदव्वोमोयरिया ?
११३ उत्तर - भत्त० अटुकुक्कुडिअंडगप्पमाणमेत्ते कवले आहारं आहारेमाणे अप्पाहारे, दुवालस० जहा सत्तमसए पढमोद्देसए जाव णो 'पकामरसभोजी' त्ति वत्तव्वं सिया । सेत्तं भत्तपाणदव्वोमोयरिया सेत्तं दब्योमोयरिया |
- भावार्थ- ११३ प्रश्न - हे भगवन् ! भक्तपान द्रव्य अवमोदरिका कितने प्रकार की है ?
Jain Education International
११३ उत्तर - हे गौतम! कुर्कुटी अण्डक प्रमाण केवल आठ कवल आहार करना - ' अल्पाहार अवमोदरिका' है। बारह कवल प्रमाण आहार करना 'अवड अवमोदरिका' है इत्यादि सातवें शतक के प्रथम उद्देशकानुसार यावत् वह 'प्रकामरसभोजी नहीं ' कहलाता है, पर्यन्त । यह भक्तपान द्रव्य अवमोदरिका हुई। यह द्रव्य अवमोदरिका पूर्ण हुई ।
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org