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भगवती सूत्र-श २५ उ. ७ व्युत्सर्ग
१५० उत्तर-दबविउसग्गे चउविहे पण्णत्ते, तं जहा-गणविउसग्गे, सरीरविउसग्गे, उवहिविउसग्गे, भत्तपाणविउसग्गे । सेत्तं दव्वविउसग्गे।
भावार्थ-१५० प्रश्न-हे भगवन् ! द्रव्य व्युत्सर्ग कितने प्रकार का है ?
१५० उत्तर-हे गौतम ! द्रव्य व्युत्सर्ग चार प्रकार का है । यथा-गण व्युत्सर्ग, शरीर व्युत्सर्ग, उपधि व्युत्सर्ग और भक्तपान व्युत्सर्ग । इस प्रकार द्रव्य व्युत्सर्ग है।
१५१ प्रश्न-से किं तं भावविउसग्गे ?
१५१ उत्तर-भावविउसग्गे तिविहे पण्णत्ते, तं जहा-कमायविउसग्गे, संसारविउसग्गे, कम्मविउसग्गे ।
भावार्थ-१५१ प्रश्न-हे भगवन् ! भाव व्युत्सर्ग कितने प्रकार का है ?
१५१ उत्तर-हे गौतम ! भाव व्युत्सर्ग तीन प्रकार का है । यथा-कषाय व्युत्सर्ग, संसार व्युत्सर्ग और कर्म व्युत्सर्ग ।
१५२ प्रश्न-से किं तं कसायविउसग्गे ?
१५२ उत्तर-कसायविउसग्गे चउन्विहे पण्णत्ते, तं जहा-कोह.. विउसग्गे, माणविउसग्गे, मायाविउसग्गे, लोभविउसग्गे । सेत्तं कसाय. विउसग्गे।
भावार्थ-१५२ प्रश्न-हे भगवन ! कषाय व्युत्सर्ग कितने प्रकार का है ?
१५२ उत्तर-हे गौतम ! कषाय व्युत्सर्ग चार प्रकार का है । यथा-क्रोध व्यत्सर्ग,मान व्युत्सर्ग, माया व्युत्सर्ग और लोभ व्युत्सर्ग। यह कषाय व्युत्सर्ग हुआ ।
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