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________________ ३५३८ भगवती सूत्र-श २५ उ. ७ व्युत्सर्ग १५० उत्तर-दबविउसग्गे चउविहे पण्णत्ते, तं जहा-गणविउसग्गे, सरीरविउसग्गे, उवहिविउसग्गे, भत्तपाणविउसग्गे । सेत्तं दव्वविउसग्गे। भावार्थ-१५० प्रश्न-हे भगवन् ! द्रव्य व्युत्सर्ग कितने प्रकार का है ? १५० उत्तर-हे गौतम ! द्रव्य व्युत्सर्ग चार प्रकार का है । यथा-गण व्युत्सर्ग, शरीर व्युत्सर्ग, उपधि व्युत्सर्ग और भक्तपान व्युत्सर्ग । इस प्रकार द्रव्य व्युत्सर्ग है। १५१ प्रश्न-से किं तं भावविउसग्गे ? १५१ उत्तर-भावविउसग्गे तिविहे पण्णत्ते, तं जहा-कमायविउसग्गे, संसारविउसग्गे, कम्मविउसग्गे । भावार्थ-१५१ प्रश्न-हे भगवन् ! भाव व्युत्सर्ग कितने प्रकार का है ? १५१ उत्तर-हे गौतम ! भाव व्युत्सर्ग तीन प्रकार का है । यथा-कषाय व्युत्सर्ग, संसार व्युत्सर्ग और कर्म व्युत्सर्ग । १५२ प्रश्न-से किं तं कसायविउसग्गे ? १५२ उत्तर-कसायविउसग्गे चउन्विहे पण्णत्ते, तं जहा-कोह.. विउसग्गे, माणविउसग्गे, मायाविउसग्गे, लोभविउसग्गे । सेत्तं कसाय. विउसग्गे। भावार्थ-१५२ प्रश्न-हे भगवन ! कषाय व्युत्सर्ग कितने प्रकार का है ? १५२ उत्तर-हे गौतम ! कषाय व्युत्सर्ग चार प्रकार का है । यथा-क्रोध व्यत्सर्ग,मान व्युत्सर्ग, माया व्युत्सर्ग और लोभ व्युत्सर्ग। यह कषाय व्युत्सर्ग हुआ । Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004092
Book TitleBhagvati Sutra Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size11 MB
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