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भगवती सूत्र - २५ उ.७ विनय तप
भावार्थ - १२९ प्रश्न - हे भगवन् ! शुश्रूषा-विनय के कितने भेद हैं ? १२९ उत्तर - हे गौतम! शुश्रूषा-विनय के अनेक भेद हैं। यथा-मत्कार, सम्मान आदि, चौदहवें शतक के तीसरे उद्देशकानुसार, यावत् प्रतिसंसाधनता पर्यन्त | यह शुश्रूषा विनय हुआ ।
१३० प्रश्न-से किं तं अणचासायणाविणए ?
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१३० उत्तर - अणवासायणाविणए पणयालीसह विहे पण्णत्ते. तं जहा - १ अरहंताणं अणचासायणया २ अरहंतपण्णत्तरस धम्मस्स अणच्चासायणया ३ आयरियाणं अणञ्चासायणया ४ उवज्झायाणं अणच्चासायणया ५ थेराणं अणच्चासायणया ६ कुलस्स अणच्चासायणया ७ गणस्स अणच्चासायणया ८ संघस्स अणच्चासायणया ९ किरियाए अणच्चासायणया १० संभोगस्स अणच्चासायणया ११ आभिणिबोहियणाणस्स अणचासायणया जाव १५ केवलणाणस्स अणच्चासायणया ३० एएसिं चेव भत्ति- बहुमाणेणं ४५ एएसिं चेव वण्णसंजलणया । सेत्तं अणच्चासायणाविणए । सेत्तं दंसणविणए ।
भावार्थ - १३० प्रश्न - हे भगवन् ! अनाशातना- विनय कितने प्रकार का
हैं ?
१३० उत्तर - हे गौतम! अनाशातना-विनय के ४५ भेद कहे हैं । यथा - अरिहन्त भगवन्तों की अनाशातना, अरिहन्त प्रज्ञप्तधर्म की अनाशातना, आचार्य महाराज की अनाशातना, उपाध्याय महाराज की अनाशातना, स्थविर भगवन्तों की अनाशातना, कुल की अनाशातना, गण की अनाशातना, संघ की
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