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भगवती सूत्र - श. २५ उ. ४ पुद्गल और युग्म
६९ उत्तर - गोयमा ! ओघादेसेण वि विहाणादेसेण वि कड• जुम्मा, णो तेओगा, णो दावरजुम्मा, णो कलिओगा | पंचपएसिया जहा परमाणुपोग्गला । छप्परसिया जहा दुप्पएसिया । सत्तपएसिया जहा तिपएसिया । अट्ठपएसिया जहा चउपएसिया । णवपएसिया जहा परमाणुपोग्गला । दसपएसिया जहा दुपएसिया |
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भावार्थ - ६९ प्रश्न - हे भगवन् ! चतुष्प्रदेशी स्कन्ध० ?
६९ उत्तर - है गौतम ! ओघादेश से भी और विधानादेश से भी कृतयुग्म हैं, त्र्योज, द्वापरयुग्म और कल्योज नहीं होते । पञ्चप्रदेशी स्कन्धों का स्वरूप परमाणु- पुद्गलों के समान, छह प्रदेशी स्कन्धों का कथन द्विप्रदेशी स्कन्धों जैसा, सप्त प्रदेशी स्कन्धों का वर्णन त्रिप्रदेशी स्कन्धवत्, अष्ट प्रदेशी स्कन्धों का विधान चतुष्प्र देशी स्कन्धों के समान, नौ प्रदेशी स्कन्धों का कथन परमाणु- पुदगलों के समान और दस प्रदेशी स्कन्धों का कथन द्विप्रवेशी स्कन्धों के समान है ।
७० प्रश्न - संखेष्वपएसिया णं- पुच्छा ।
७० उत्तर - गोयमा ! ओघादेसेणं सिय कडजुम्मा जाव सिय कलिओगा । विहाणादेसेणं कडजुम्मा वि जाव कलिओगा वि । एवं असंखेजपएसिया वि, अनंत एसिया वि ।
भावार्थ - ७० प्रश्न - हे भगवन् ! संख्यात प्रदेशी स्कन्ध० ?
७० उत्तर - हे गौतम! ओघादेश से कदाचित् कृतयुग्म यावत् कल्योज हैं । विधानादेश से कृतयुग्म भी हैं यावत् कल्योज भी हैं । इसी प्रकार असंख्यात प्रदेशी और अनन्त प्रदेशी स्कन्धों के विषय में भी जानना चाहिये ।
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