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भगवती सूत्र--श. २५ उ. ६ कर्म-उदीरणा द्वार
१०९ प्रश्न-सिणाए णं-पुच्छा।
१०९ उत्तर-गोयमा ! वेयणिज-आउय-णाम-गोयाओ चत्तारि कम्मप्पगडीओ वेदेइ २२ ।
भावार्थ-१०९ प्रश्न-हे भगवन् ! स्नातक, कितनी कर्म-प्रकृतियों का वेदन करते हैं ?
१०९ उत्तर-हे गौतम ! वेदनीय, आयुष्य, नाम और गोत्र--इन चार कर्म-प्रकृतियों का वेदन करते हैं।
विवेचन--पुलाक से ले कर कषाय-कुशील तक आठों कर्म-प्रकृतियाँ वेदते हैं । निग्रंथ, मोहनीय को छोड़ कर सात कर्म-प्रकृतियों को वेदते हैं, क्योंकि उसके मोहनीय कर्म उपशान्त या क्षीण हो जाता है । स्नातक के घाती-कर्मों का क्षय हो जाता है। इसलिये वेदनीयादि चार अपाती कर्मों को ही वेदते हैं। '
कर्म-उदीरणा द्वार . ११० प्रश्न-पुलाए णं भंते ! कइ कम्मप्पगडीओ उदीरेइ ?
११० उत्तर-गोयमा! आउय-वेयणिजवजाओ छ कम्मप्पगडीओ उदीरेइ।
____भावार्थ-११० प्रश्न-हे भगवन् ! पुलाक, उदीरणा कितनी कर्म-प्रकृ. तियों की करते हैं ? " ११० उत्तर-हे गौतम ! आयुष्य और वेदनीय को छोड़ कर छह कर्मप्रकृतियों की उदीरणा करते हैं।
१११ प्रश्न-बउसे-पुच्छा । ..१११ उत्तर-गोयमा ! सत्तविहउदीरए वा, अट्टविहउदीरए वा, छविहउदीरए वा । सत्त उदीरेमाणे आउयवज्जाओ सत्त कम्मपग
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