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________________ ३४१२ भगवती सूत्र--श. २५ उ. ६ कर्म-उदीरणा द्वार १०९ प्रश्न-सिणाए णं-पुच्छा। १०९ उत्तर-गोयमा ! वेयणिज-आउय-णाम-गोयाओ चत्तारि कम्मप्पगडीओ वेदेइ २२ । भावार्थ-१०९ प्रश्न-हे भगवन् ! स्नातक, कितनी कर्म-प्रकृतियों का वेदन करते हैं ? १०९ उत्तर-हे गौतम ! वेदनीय, आयुष्य, नाम और गोत्र--इन चार कर्म-प्रकृतियों का वेदन करते हैं। विवेचन--पुलाक से ले कर कषाय-कुशील तक आठों कर्म-प्रकृतियाँ वेदते हैं । निग्रंथ, मोहनीय को छोड़ कर सात कर्म-प्रकृतियों को वेदते हैं, क्योंकि उसके मोहनीय कर्म उपशान्त या क्षीण हो जाता है । स्नातक के घाती-कर्मों का क्षय हो जाता है। इसलिये वेदनीयादि चार अपाती कर्मों को ही वेदते हैं। ' कर्म-उदीरणा द्वार . ११० प्रश्न-पुलाए णं भंते ! कइ कम्मप्पगडीओ उदीरेइ ? ११० उत्तर-गोयमा! आउय-वेयणिजवजाओ छ कम्मप्पगडीओ उदीरेइ। ____भावार्थ-११० प्रश्न-हे भगवन् ! पुलाक, उदीरणा कितनी कर्म-प्रकृ. तियों की करते हैं ? " ११० उत्तर-हे गौतम ! आयुष्य और वेदनीय को छोड़ कर छह कर्मप्रकृतियों की उदीरणा करते हैं। १११ प्रश्न-बउसे-पुच्छा । ..१११ उत्तर-गोयमा ! सत्तविहउदीरए वा, अट्टविहउदीरए वा, छविहउदीरए वा । सत्त उदीरेमाणे आउयवज्जाओ सत्त कम्मपग Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004092
Book TitleBhagvati Sutra Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size11 MB
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