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भगवती सूत्र-स: २५ उ. ७ अनशन तप
भक्त (पन्द्रह दिन के उपवास), मासिकभक्त (एक महीने के उपवास), द्विमासिकभक्त, त्रिमासिकभक्त यावत् षाणमासिक मक्त । यह इत्वरिक अनशन है।
१०७ प्रश्न-से किं तं आवकहिए ?
१०७ उत्तर-आवकहिए दुविहे पण्णत्ते, तं जहा-पाओवगमणे य भत्तपञ्चक्खाणे य।
भावार्थ-१०७ प्रश्न-हे भगवन् ! यावत्कथिक अनशन कितने प्रकार का है ?
- १०७ उत्तर-हे गौतम ! यावत्कथिक अनशन दो प्रकार का है । यथापादपोपगमन और भक्त-प्रत्याख्यान ।
१०८ प्रश्न-से किं तं पाओवगमणे ? ..
१०८ उत्तर-पाओवगमणे दुविहे पण्णत्ते, तं जहा-णीहारिमे य अणीहारिमे य, णियमं अपडिकम्मे । सेत्तं पाओवगमणे। ___ भावार्थ-१०८ प्रश्न-हे भगवन् ! पादपोपगमन कितने प्रकार का है ?
१०८ उत्तर-हे गौतम ! पादपोपगमन दो प्रकार का है । यथा-निर्हारिम और अनिर्हारिम । ये दोनों नियम से (अवश्य हो) अप्रतिकर्म होते हैं । यह पादपोपगमन तप हुआ।
१०९ प्रश्न-से किं तं भत्तपञ्चक्खाणे ?
१०९ उत्तर-भत्तपञ्चक्खाणे दुविहे पण्णत्ते, तं जहा-णीहारिमे य अणीहारिमे य, णियमं सपडिकम्मे । सेत्तं भत्तपञ्चक्खाणे । सेत्तं
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