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________________ ३५०२ भगवती सूत्र-स: २५ उ. ७ अनशन तप भक्त (पन्द्रह दिन के उपवास), मासिकभक्त (एक महीने के उपवास), द्विमासिकभक्त, त्रिमासिकभक्त यावत् षाणमासिक मक्त । यह इत्वरिक अनशन है। १०७ प्रश्न-से किं तं आवकहिए ? १०७ उत्तर-आवकहिए दुविहे पण्णत्ते, तं जहा-पाओवगमणे य भत्तपञ्चक्खाणे य। भावार्थ-१०७ प्रश्न-हे भगवन् ! यावत्कथिक अनशन कितने प्रकार का है ? - १०७ उत्तर-हे गौतम ! यावत्कथिक अनशन दो प्रकार का है । यथापादपोपगमन और भक्त-प्रत्याख्यान । १०८ प्रश्न-से किं तं पाओवगमणे ? .. १०८ उत्तर-पाओवगमणे दुविहे पण्णत्ते, तं जहा-णीहारिमे य अणीहारिमे य, णियमं अपडिकम्मे । सेत्तं पाओवगमणे। ___ भावार्थ-१०८ प्रश्न-हे भगवन् ! पादपोपगमन कितने प्रकार का है ? १०८ उत्तर-हे गौतम ! पादपोपगमन दो प्रकार का है । यथा-निर्हारिम और अनिर्हारिम । ये दोनों नियम से (अवश्य हो) अप्रतिकर्म होते हैं । यह पादपोपगमन तप हुआ। १०९ प्रश्न-से किं तं भत्तपञ्चक्खाणे ? १०९ उत्तर-भत्तपञ्चक्खाणे दुविहे पण्णत्ते, तं जहा-णीहारिमे य अणीहारिमे य, णियमं सपडिकम्मे । सेत्तं भत्तपञ्चक्खाणे । सेत्तं Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004092
Book TitleBhagvati Sutra Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size11 MB
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