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भगवती सूत्र-ग. २५ उ. ४ भाद द्वार
८९ उत्तर-जहेच होजा तहेव फुसह (३३) । कठिन शब्दार्थ--फुसइ--स्पर्श करता है । .. भावार्थ-८९ प्रश्न-हे भगवन् ! सामायिक संयत लोक के संख्यातवें भाग को स्पर्श करते हैं. ?
८९ उत्तर-हे गौतम ! जिस प्रकार क्षेत्र अवगाहना कही है, उसी प्रकार क्षेत्र-स्पर्शना भी जाननी चाहिये (३३) ।
भाव द्वार
९० प्रश्न-सामाइयसंजए णं भंते ! कयरंमि भावे होजा ?
९० उत्तर-गोयमा ! खओवसमिए भावे होजा । एवं जाव सुहुमसंपराए।
भावार्थ-९० प्रश्न-हे भगवन् ! सामायिक संयत कौन-से भाव में होते हैं ?
९. उत्तर-हे गौतम ! क्षायोपशमिक भाव में होते हैं । इसी प्रकार यावत् सूक्ष्म-संयत पर्यन्त ।
९१ प्रश्न-अहक्खायसंजए-पुच्छा। ९१ उत्तर-गोयमा ! उपसमिए वा खहए वा भावे होजा (३४)। भावार्थ-९१ प्रश्न-हे भगवन ! यथाख्यात संयत किस भाव में होते हैं ?
९१ उत्तर-हे गौतम ! औपशमिक या क्षायिक भाव में होते हैं (३४)। ‘विवेचन--क्षेत्र द्वार, स्पर्शना द्वार और भाव द्वार के लिये पुलाक आदि का अतिदेश किया है । जिनका वर्णन उ. ६ में किया जा चुका है।
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