________________
भगवती सूत्र - ग. २५ उ. ४
पुद्गल और युग्म
भावार्थ - ७६ प्रश्न - हे भगवन् ! द्वि प्रदेशी स्कन्ध० ?
७६ उत्तर - हे गौतम! ओघादेश से कृतयुग्म प्रदेशावगाढ़ हैं, त्र्योज द्वापरयुग्म और कल्योज प्रदेशावगाढ़ नहीं । विधानादेश से कृतयुग्म प्रदेशावगाढ़ और त्र्योज प्रदेशावगाढ़ नहीं होते, द्वापरयुग्म प्रदेशावगाढ़ और कल्योज प्रदेशावगाढ़ हैं ।
Jain Education International
३३०५
७७ प्रश्न - तिप्पएसिया णं - पुच्छा |
७७ उत्तर - गोयमा ! ओघादेसेणं कडजुम्मपएसोगाढा, णो तेओग०, गोदावर०, णो कलि० । विहाणादेसेणं णो कडजुम्मपएसोगाढा, तेओगपएसोगाढा वि, दावर जुम्मपए सोगाढा वि, कलिओग परसोगाढा वि३ ।
भावार्थ - ७७ प्रश्न - हे भगवन् ! त्रिप्रदेशी स्कन्ध० ?
७७ उत्तर - हे गौतम! ओघादेश से कृतयुग्म प्रदेशावगाढ़ हैं, त्र्योज, द्वापरयुग्म और कल्योज प्रदेशावगाढ़ नहीं । विधानादेश से कृतयुग्म प्रदेशावगाढ़ नहीं, किंतु पोज प्रदेशावगाढ़, द्वापरयुग्म प्रदेशावगाढ़ और कल्योज प्रदेशाव गाढ़ हैं ।
७८ प्रश्न - चउप्परसिया णं - पुच्छा ।
७८ उत्तर - गोयमा ! ओघादेसेणं कडजुम्मपएसोगाढा, णो तेओग०, गोदावर०, णो कलिओग० । विहाणादेसेणं कडजुम्म परसोगाढा वि जाव कलिओगपएसोगाढा वि ४ । एवं जाव अनंतपरसिया ।
भावार्थ - ७८ प्रश्न - हे भगवन् ! चतुष्प्रदेशी स्कन्ध० ?
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org