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भगवती सूत्र-श. २५ उ. ६ कपाय द्वार
३४०१
उत्तर-गोयमा ! चउसु वा तिसु वा दोसु वा एगंमि वा होजा। च उसु होमाणे चउसु संजलणकोह-माण-माया-लोभेसु डोजा, तिसु होमाणे तिसु संजलणमाण माया-लोभेसु होजा, दोसु होमाणे संजलणमाया-लोभेसु होजा, एगंमि होमाणे संजलणलोभे होजा ।
भावार्थ-८७ प्रश्न-हे भगवन् ! कषाय-कुशील सकषायी होते हैं या अकषायी? ८७ उत्तर-हे गौतम ! सकषायी होते हैं, अकषायो नहीं होते ।
प्रश्न-हे भगवन् ! यदि वे सकषायी होते हैं, तो कितने कषाय में होते हैं ?
उत्तर-हे गौतम ! वे चार, तीन दो या एक कषाय में होते हैं। चार कषाय में होते हुए संज्वलन क्रोध, मान, माया और लोम में होते हैं। तीन में होते हुए संज्वलन मान, माया और लोभ में। दो कषाय में होते हुए संज्वलन माया और लोभ में । एक कषाय में होते हैं, तो संज्वलन लोभ में होते हैं।
८८ प्रश्न-णियंठे णं-पुच्छा। ८८ उत्तर-गोयमा ! णो सकसायी होजा, अकसायी होजा ।
प्रश्न-जड़ अकसायी होजा किं उवसंतकसायी होजा, खीणकयायी होजा?
उत्तर-गोयमा ! उवसंतकसायी वा होजा, खीणकसायी वा होजा। सिणाए एवं चेव. णवरं णो उवसंतकसायी होज्जा, खीणकसायी होजा १८ ।।
भावार्थ-८८ प्रश्न-हे भगवन् ! निग्रंथ सकषायी होते हैं या अकषायो ?
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