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परिणाम द्वार
९३ प्रश्न-पुलाए णं भंते ! किं वइढमाणपरिणामे होज्जा, हीय. माणपरिणामे होज्जा, अवट्ठियपरिणाम होज्जा ?
___ ९३ उत्तर-गोयमा ! वड्ढमाणपरिणामे वा होज्जा, हीयमाणपरिणामे वा होज्जा, अवट्टियपरिणामे वा होज्जा । एवं जाव कसायकुसीले ।
___ कठिन शब्दार्थ-वडमाण--वर्द्धमान--बढ़ता हुआ, हीयमाण-घटता हुआ, अवट्ठिय--अवस्थित ।
भावार्थ-९३ प्रश्न-हे भगवन् ! पुलाक, वर्द्धमान परिणामी होते हैं, हीयमान (घटते हुए) परिणामी होते हैं या अवस्थित परिणामी ?
__९३ उत्तर-हे गौतम ! वर्द्धमान् परिणामी, हीयमान परिणामी और अवस्थित परिणामी भी होते हैं। इसी प्रकार यावत् कषाय कुशील पर्यन्त ।
९४ प्रश्न-णियंठे णं-पुच्छा। - ९४ उत्तर-गोयमा ! वड्ढमाणपरिणामे होजा, णो हीयमाणपरिणामे होजा, अवट्ठियपरिणामे वा होजा । एवं सिणाए वि।
भावार्थ-९४ प्रश्न-हे भगवन् ! निग्रंथ वर्द्धमान परिणामी होते है?
९४ उत्तर-हे गौतम ! वर्द्धमान और अवस्थित परिणामी होते हैं, किंतु हीयमान परिणामी नहीं होते । इसी प्रकार स्नातक भी।
९५ प्रश्न-पुलाए णं भंते ! केवइयं कालं वड्ढमाणपरिणामे होजा?
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