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भगवती सूत्र - श. २५ उ. ४ राकम्प - निष्कम्प
भावार्थ - ३६ प्रश्न - हे भगवन् ! अन्तर सिद्ध देश - कम्पक हैं या सर्व
कम्पक ?
३६ उत्तर - हे गौतम ! वे देश-कम्पक नहीं, सर्व-कम्पक हैं । जो संसार समापनक हैं, वे भी दो प्रकार के हैं-१ शैलेशी प्रतिपत्रक ( शैलेशी अवस्था को प्राप्त) और २ अशैलेशीप्रतिपन्नक ( शैलेशी अवस्था को अप्राप्त) । शैलेशीप्रतिपन्नक निष्कम्प होते है और अशैलेशीप्रतिपन्नक सकम्प होते हैं ।
प्रश्न - हे भगवन् ! अशैलेशीप्रतिपन्नक देश-कम्पक हैं, या सर्व-कम्पक ? उत्तर - हे गौतम! बे देश (अंशतः ) कम्पक भी हैं और सर्व-कम्पक भी । इस कारण से हे गौतम! यावत् वे निष्कम्प भी हैं ।
३७ प्रश्न - णेरड्या णं भंते ! किं देतेया सव्वेया ? ३७ उत्तर - गोयमा ! देसेया वि सव्वेया वि।
प्रश्न-से केणट्टेणं जाव सव्वेया वि ?.
उत्तर - गोयमा ! रइया दुविहा पण्णत्ता, तं जहा - विग्गहगहसमावणगाय अविग्गहगइसमावण्णगा य तत्थ णं जे ते विग्गहसमावण्णा ते णं सव्वेया, तत्थ णं जे ते अविग्गहगहसमा - वणगा ते णं देसेया, से तेणट्टेणं जाव 'सव्वेया वि' । एवं जाव वेमाणिया ।
भावार्थ- ६- ३७ प्रश्न- हे भगवन् ! नैरयिक देश-कम्पक हैं या सर्व-कम्पक ! ३७ उत्तर - हे गौतम! वे देश-कम्पक भी हैं और सर्व-कम्पक भी । प्रश्न - हे भगवन् ! क्या कारण है कि यावत् सर्व-कम्पक भी हैं ?
उत्तर - हे गौतम! नैरयिक दो प्रकार के कहे हैं । यथा -- ९ विग्रहगति समापत्रक और २ अविग्रहगति समापन्नक । विग्रहगति समापत्रक सर्व-कम्पक हैं। और अविग्रहगति समापन्नक देश-कम्पक हैं । इसलिए हे गौतम ! यावत्
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