________________
३२८४
भगवती सूत्र-श. २५ उ. ४ परमाणु आदि का अल्प-बहुत्व
___३८ उत्तर-गोयमा ! णो संखेजा, णो असंखेजा, अणंता। एवं जाव अणंतपएसिया खंधा। ..
भावार्थ-३८ प्रश्न-हे भगवन् ! परमाणु-पुदगल संख्यात हैं, असंख्यात • हैं, या अनन्त ह ?
- ३८ उत्तर-हे गौतम ! संख्यात नहीं, असंख्यात भी नहीं, किन्तु अनन्त हैं । इस प्रकार यावत् अनन्त प्रदेशी स्कन्ध पर्यंत ।
३९ प्रश्न-एगपएसोगाढा णं भंते ! पोग्गला किं खेजा, . असंखेजा, अर्णता ? ___३९ उत्तर-एवं चेव । एवं जाव असंखेजपएसोगाढा ।
__भावार्थ-३९ प्रश्न-हे भगवन् ! आकाश के एक प्रदेश में रहे हए पुद्गल संख्यात हैं, असंख्यात हैं या अनन्त हैं ?
३९ उत्तर-हे गौतम ! पूर्ववत् । इसी प्रकार यावत् असंख्यात प्रदेश में रहे हुए पुद्गल पर्यंत।
४० प्रश्न-एगसमयठिईया णं भंते ! पोग्गला किं संखेज्जा ? ४० उत्तर-एवं चेव, एवं जाव असंखेजसमयट्टिईया।
भावार्थ-४० प्रश्न-हे भगवन् ! एक समय को स्थिति वाले पुद्गल संख्यात हैं. ?
४० उत्तर-है गौतम ! पूर्ववत्, यावत् असंख्यात समय की स्थिति वाले पुद्गल भी।
४१ प्रश्न-एगगुणकालंगा णं भंते ! पोग्गला किं संखेजा ? ४१ उत्तर-एवं चेव, एवं जाव अणंतगुणकालगा, एवं अवसेसा
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org