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भगवती सूत्र - श. २५ उ. ४ परमाणु आदि का अल्प-वहुत्व
४८ उत्तर - हे गौतम! अनन्त प्रदेशी स्कन्धों से असंख्यात प्रदेशी स्कन्ध प्रदेशार्थ से बहुत है ।
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४९ प्रश्न - एएस णं भंते ! एगपएसोगाढाणं दुपए सोगाढाण य पोग्गलाणं दव्वट्टयाए कयरे कयरेहिंतो जाव विसेसाहिया वा ?
४९ उत्तर - गोयमा ! दुपए सोगाढेहिंतो पोग्गलेहिंतो एगपएसो गाढा पोग्ला या विसेसाहिया । एवं एएणं गमएणं तिपएसोगाढे हिंतो पोग्गलेहिंतो दुपए मोगाढा पोग्गला दष्वट्टयाए विसेसांहिंया जाव दसपएसोगाढे हिंतो पोग्गले हिंतो णव एसोगाढा पोग्गला ०वट्टयाए विसेसाहिया | दसपएसो गाढेहिंतो पोग्गलेहिंतो संखेजपरसोगाढा पोग्गला दव्वट्टयाए बहुया संखेज्जपएसोगा ढेहिंतो पोरग लेहिंतो असंखेज पर सोगाढा पोग्गला दव्बट्टयाए बहुया । पुच्छा सव्वत्थ भाणियव्वा ।
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भावार्थ - ४९ प्रश्न - हे भगवन् ! एक प्रदेशावगाढ़ और द्वि प्रदेशावगाढ़ पुद्गलों में द्रव्यार्थ से कौन - किससे यावत् विशेषाधिक है ?
४९ उत्तर - हे गौतम! द्वि प्रदेशावगाढ़ पुद्गलों से एक प्रदेशावगाढ़ पुद्गल द्रव्यार्थ से विशेषाधिक हैं । इसी गमक से त्रि प्रदेशावगाढ़ पुद्गलों से द्वि प्रदेशावगाढ़ पुद्गल द्रव्यार्थ से विशेषाधिक हैं, यावत् दस प्रदेशावगाढ़ पुद्गलों से नव प्रदेशावगाढ़ पुद्गल द्रव्यार्थ से विशेषाधिक है। दस प्रदेशावगाढ़ पुद्गलों से संख्यात प्रदेशावगाढ़ पुद्गल द्रव्यार्थ से बहुत हैं । संख्यात प्रदेशावगाढ़ पुद्गलों से असंख्यात प्रदेशावगाढ़ पुद्गल द्रव्यार्थ से बहुत हैं । सर्वत्र प्रश्न करना चाहिये ।
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