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भगवती सूत्र-श. २५ उ. ४ द्रव्यादि की अपेक्षा गुग्म प्ररूपणा
भावार्थ-२७ प्रश्न-हे भगवन् ! जीव काले वर्ण के पर्यायों की अपेक्षा कृतयुग्म है ?
___ २७ उत्तर-हे गौतम ! जीव-प्रदेशों की अपेक्षा वह कृतयुग्म, यावत् कल्योज नहीं है । शरीर-प्रदेशों की अपेक्षा वह कदाचित् कृतयुग्म यावत् कल्योज है, यावत् वैमानिक पर्यंत । यहां सिद्ध के विषय में प्रश्न नहीं करना चाहिये ।
२८ प्रश्न-जीवा णं भंते ! कालवण्णपजवेहि-पुच्छा। _२८ उत्तर-गोयमा ! जीवपएसे पडुच्च ओघादेसेण वि विहाणा. देसेण वि णो कडजुम्मा जाव णो कलिओगा। सरीरपएसे पडुच्च
ओघादेसेणं सिय कडजुम्मा जाव सिय कलिओगा, विहाणादेसेणं कडजुम्मा वि जाव कलिओगा वि । एवं जाव वेमाणिया । एवं णील. वण्णपजवेहिं दंडओ भाणियव्वो एगत्तपुहत्तेणं, एवं जाव लुक्ख-फासपजवेहिं ।
भावार्थ-२८ प्रश्न-हे भगवन् ! जीव (बहुत जीव) काले वर्ण के पर्यायों को अपेक्षा कृतयुग्म हैं ?
२८ उत्तर-हे गौतम ! प्रदेशों की अपेक्षा जीव ओघादेश और विधानादेश से कृतयुग्म यावत् कल्योज नहीं हैं, किंतु शरीर-प्रदेशों की अपेक्षा ओघादेश से कदाचित् कृतयुग्म यावत् कल्योज है । विधानादेश से कृतयुग्म भी हैं यावत् कल्पोज भी हैं। इस प्रकार यावत् वैमानिक तक । इसी प्रकार एकवचन और बहवचन से नीले वर्ण के पर्यायों का दण्डक तथा इसी प्रकार यावत् रूक्ष स्पर्श के पर्यायों तक जानना चाहिये।
२९ प्रश्न-जीवे णं भंते ! आभिणियोहियणाणपजवेहिं किं
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