SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 125
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ३२७६ भगवती सूत्र-श. २५ उ. ४ द्रव्यादि की अपेक्षा गुग्म प्ररूपणा भावार्थ-२७ प्रश्न-हे भगवन् ! जीव काले वर्ण के पर्यायों की अपेक्षा कृतयुग्म है ? ___ २७ उत्तर-हे गौतम ! जीव-प्रदेशों की अपेक्षा वह कृतयुग्म, यावत् कल्योज नहीं है । शरीर-प्रदेशों की अपेक्षा वह कदाचित् कृतयुग्म यावत् कल्योज है, यावत् वैमानिक पर्यंत । यहां सिद्ध के विषय में प्रश्न नहीं करना चाहिये । २८ प्रश्न-जीवा णं भंते ! कालवण्णपजवेहि-पुच्छा। _२८ उत्तर-गोयमा ! जीवपएसे पडुच्च ओघादेसेण वि विहाणा. देसेण वि णो कडजुम्मा जाव णो कलिओगा। सरीरपएसे पडुच्च ओघादेसेणं सिय कडजुम्मा जाव सिय कलिओगा, विहाणादेसेणं कडजुम्मा वि जाव कलिओगा वि । एवं जाव वेमाणिया । एवं णील. वण्णपजवेहिं दंडओ भाणियव्वो एगत्तपुहत्तेणं, एवं जाव लुक्ख-फासपजवेहिं । भावार्थ-२८ प्रश्न-हे भगवन् ! जीव (बहुत जीव) काले वर्ण के पर्यायों को अपेक्षा कृतयुग्म हैं ? २८ उत्तर-हे गौतम ! प्रदेशों की अपेक्षा जीव ओघादेश और विधानादेश से कृतयुग्म यावत् कल्योज नहीं हैं, किंतु शरीर-प्रदेशों की अपेक्षा ओघादेश से कदाचित् कृतयुग्म यावत् कल्योज है । विधानादेश से कृतयुग्म भी हैं यावत् कल्पोज भी हैं। इस प्रकार यावत् वैमानिक तक । इसी प्रकार एकवचन और बहवचन से नीले वर्ण के पर्यायों का दण्डक तथा इसी प्रकार यावत् रूक्ष स्पर्श के पर्यायों तक जानना चाहिये। २९ प्रश्न-जीवे णं भंते ! आभिणियोहियणाणपजवेहिं किं Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004092
Book TitleBhagvati Sutra Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy