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भगवती सूत्र-श. २५ उ. ४ द्रव्यादि की अपेक्षा युग्ग प्ररूपणा
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भावार्थ-२६ प्रश्न-हे भगवन् ! नैरयिक (बहुत नैरयिक) कृतयुग्म समय की स्थिति वाले हैं ?
२६ उत्तर-हे गौतम ! ओघादेश से कदाचित् कृतयुग्म समय की स्थिति वाले यावत् कल्योज समय की स्थिति वाले हैं। विधानादेश से कृतयुग्म समय की स्थिति वाले यावत् कल्योज समय की स्थिति वाले हैं। इसी प्रकार यावन् वैमानिक पर्यत । सिद्ध जीवों का कथन सामान्य जीवों के समान है।
विवेचन-औदारिक आदि शरीरों की विचित्र अवगाहना होने से उनमें कृतयुग्मादि चारों भेद पाये जाते है। इसी प्रकार आगे भी कृतयुग्मतादि को स्वयं घटित करना चाहिये।
सामान्य जीव की स्थिति सर्वकाल में शाश्वत और सर्वकाल नियत, अनन्त समयात्मक होने से जीव कृतयुग्म समय की स्थिति वाला है । नैरयिक आदि की भिन्न-भिन्न स्थित्ति होने से किसी समय कृतयुग्म समय की स्थिति वाला होता है, तो किसी समय यावत् कल्योज समय की स्थिति वाला होता है।
सामान्यादेश से और विशेषादेश से जीवों की स्थिति अनादि-अनन्त काल की होने से वे कृतयुग्म समय की स्थिति वाले हैं।
सभी नैरयिकादि जीवों की स्थिति के समयों को एकत्रित किया जाय और उनमें चार-चार का अपहार किया जाय, तो सभी नैरयिक सामान्यादेश से कृतयुग्म समय यावत् । कल्योज समय की स्थिति वाले होते हैं और विशेषादेश से एक समय में कृतयुग्मादि चारों प्रकार के है ।
. २७ प्रश्न-जीवे णं भंते ! कालवण्णपज्जवेहिं किं कडजुम्मेपुच्छा। - २७ उत्तर-गोयमा ! जीवपएसे पडुच्च णो कडजुम्मे जाव णो कलिओगे । सरीरपएसे पडुच्च सिय कडजुम्मे जाव सिय कलिओगे । एवं जाव वेमाणिए । सिद्धो चेव ण पुच्छिज्जइ ।
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