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________________ भगवती सूत्र - श. २५ उ. ४ द्रव्यादि की अपेक्षा युग्म प्ररूपणा २४ उत्तर - गोयमा ! सिय कडजुम्मसमयट्टिईए जांव सिय कलिओगसमट्टिए | एवं जाव वेमाणिए, सिद्धे जहा जीवे । भावार्थ - २४ प्रश्न - हे भगवन् ! नैरयिक कृतयुग्भ समय की स्थिति वाला है ० ? २४ उत्तर - हे गौतम ! कदाचित् कृतयुग्म समय की स्थिति वाला यावत् कदाचित् कल्योज समय की स्थिति वाला है, यावत् वैमानिक पर्यन्त । सिद्ध तो जीव के समान है । ३२७४ २५ प्रश्न - जीवा णं भंते ! पुच्छा । २५ उत्तर - गोयमा ! ओघादेसेण वि विहाणादेसेण वि कडजुम्मसमपट्टिईया, णो तेओग०, णो दावर०, णो कलिओग० । भावार्थ - २५ प्रश्न - हे भगवन् ! जीव ( बहुत जीव ) कृतयुग्म समय की स्थिति वाले हैं ० ? २५ उत्तर - हे गौतम! ओघादेश और विधानादेश से कृतयुग्म समय की स्थिति वाले हैं, किन्तु त्र्योज, द्वापरयुग्म और कल्योज समय की स्थिति वाले नहीं हैं ? , २६ प्रश्न--णेरइयाणं-- पुच्छा | २६ उत्तर--गोयमा ! ओघादेसेणं सिय कडजुम्मसमय ट्ठईया जाब सिय कलिओगसमयईिया वि । विहाणादेसेणं कडजुम्मसमयट्टिईया वि जान कलिओगसमय ट्टिईया वि । एवं जाव वेमाणिया, सिद्धा जहा जीवा । Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004092
Book TitleBhagvati Sutra Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size11 MB
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