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________________ भगवती सूत्र - श २५ उ. ४ द्रव्यादि की अपेक्षा युग्म प्ररूपणा योज, द्वापरयुग्म और कल्योज प्रदेशावगाढ़ नहीं हैं। विधानादेश से कृतयुग्म प्रदेशावगाढ़ यावत् कल्योज प्रदेशावगाढ़ हैं । २२ प्रश्न - णेरइयाणं - पुच्छा । २२ उत्तर - गोयमा ! ओघादेमेणं सिय कडजुम्मपए सोगाटा जाव सिय कलिओगपएसोगाढा । विहाणादेसेण कडजुम्मपए सोगाढा वि जाव कलिओगपएसो गाढा वि । एवं एगिंदिय-सिद्धवज्जा सव्वे वि सिद्धा एगिंदिया य जहा जीवा । ३२७३ भावार्थ - २२ प्रश्न हे भगवन् ! नैरयिक कृतयुग्म प्रदेशावगाढ़ है० ? २२. उत्तर - हे गौतम! ओघादेश से कदाचित् कृतयुग्म प्रदेशावगाढ़ यावत् कल्योज प्रदेशावगाढ़ है। विधानादेश से कृतयुग्म प्रदेशावगाढ़ यावत् कल्योज प्रदेशावगाढ़ है । इसी प्रकार एकेन्द्रिय और सिद्धों को छोड़ कर सभी जीव हैं । सिद्ध और एकेन्द्रिय जीवों का कथन सामान्य जीवों के समान है । - २३ प्रश्न - जीवे णं भंते ! किं कडजुम्मसमपट्टिईए- पुच्छा । २३ उत्तर - गोयमा ! कडजुम्मसमयट्टिईए, णो तेओग०, णो दावर०, णो कलिओगसमय ट्टिईए । भावार्थ - २३ प्रश्न - हे भगवन् ! जीव कृतयुग्म समय की स्थिति वाला है ० ? २३ उत्तर - हे गौतम! जीव कृतयुग्म समय की स्थिति वाला है, किन्तु ज्योज, द्वापरयुग्म और कल्योज समय की स्थिति वाला नहीं है । २४ प्रश्न - रइए णं भंते ! पुच्छा । Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004092
Book TitleBhagvati Sutra Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size11 MB
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