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अनेकान्त 64/1 जनवरी-मार्च 2011
तथा सर्वाह और सनत्कुमार यक्षों की मूर्तियों एवं अष्ट मंगल द्रव्य हैं। (3/47 ) यह गाथा त्रिलोकसार जी की गाथा 988 के समान है।
ज्योतिर्लोक (सत्तमो महाधिकार )
ज्योतिलोंक के चन्द्रविमान में भवनवासी देव जैसी जिनभवनों की व्यवस्था है। (7/47-48)। यही व्यवस्था सूर्य विमान में भी है । ( 7/73 ) । व्यंतर लोक (छट्टो महाधिकार )
व्यंतर लोक में जिनभवनों में सिंहासनादि प्रातिहायों सहित और हाथ में चंवर लिए हुए नागयक्ष देव युगलों से संयुक्त अकृत्रिम जिनेन्द्र प्रतिमाएं जयवन्त होती हैं (6/15)। यहां के जिनमंदिरों में श्रीदेवी, श्रुतदेवी तथा सर्वाण्ह - सनत्कुमार यक्षों की मूर्तियाँ होने का उल्लेख नहीं है।
सुरलोक (अट्टमो महाधिकार )
कल्पवासी-सुरलोक के जिनभवनों में तीन छत्र सिंहासन, भामण्डल और चंवरादि से (संयुक्त) सुन्दर जिन-प्रतिमाएं विराजमान रहती हैं (8/605)। इन मंदिरों में नागयक्ष, श्रीदेवी आदि की मूर्तियां होने का कोई उल्लेख नहीं है।
सर्व देवों द्वारा जिनेन्द्र पूजा का विधान
देव लोक में उपपादपुर में महार्ह शय्या पर देव उत्पन्न होते हैं। देव-देवियों को देखकर नवागंतुक देव को कौतुक होता है और किसी को विभंग और किसी को अवधिज्ञान प्रगट होता है। कोई मिथ्यादृष्टि देव विशुद्ध सम्यक्त्व को ग्रहण करते हैं (8/596-597 ) । नये देव का अभिषेक होता है पश्चात् दिव्य रत्नाभूषणों की वेशभूषा धारण कर देव जिन भवन जाकर जिनदेव की सैकड़ों स्तुतियाँ कर उनका अभिषेक करते हैं।
सम्यग्दृष्टि देव कर्मक्षय के निमित्त सदा मन में अतिशय भक्तिपूर्वक 'जिनवराण सया' जिनेन्द्रों की पूजा करते हैं। मिध्यादृष्टि देव अन्य देवों के संबोधन से ये कुल देवता हैं' ऐसा मानकर णिच्च अच्चति जिणवरप्पडिमा नित्य जिनेन्द्र प्रतिमाओं की पूजा करते हैं (8/611-612) |
जिनमूर्ति की पूजा के देवलोक के निष्कर्ष
1) देव लोक के जिन मंदिरों के सभी मंदिरों में श्रीदेवी, श्रुतदेवी, सर्वाण्ह - सनत्कुमार यक्ष की मूर्तियों के होने का विधान नहीं है। भवनवासी एवं ज्योतिलॉक के जिनमंदिरों में देवियों और यक्षों की मूर्तियाँ होती हैं किन्तु व्यंतरलोक और सुरलोक ( कल्पवासी) के जिनमंदिरों में इनकी मूर्तियों का विधान नहीं है।
2) देवलोक के देवगण सम्यग्दृष्टि और मिथ्यादृष्टि, मात्र जिनेन्द्र प्रतिमाओं का अभिषेक, स्तुति और पूजन करते हैं। जिनेन्द्र को छोड़ अन्य किसी देवी-देवता, यक्ष या शासन देवता की पूजा नहीं करते।
3) भवनवासी और ज्योतिलॉक जहां श्रीदेवी एवं यक्षमूर्तियाँ गर्भगृह में विद्यमान हैं,