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विद्वानों और पाठकों से निवेदन
मान्यवर,
जैसा कि आपको विदित है कि भारत की राजधानी दिल्ली में वीर सेवा मन्दिर जैनदर्शन शोध संस्थान की स्थापना प्राच्य विद्या महार्णव आचार्य जुगलकिशोर मुख्तार ने 21 अप्रैल सन् 1929 में की थी। पं. जी की ही प्रेरणा से अनेकान्त त्रैमासिक शोध पत्रिका का प्रकाशन पिछले 82 वर्षों से लगातार हो रहा है।
इसके प्रकाशन में पं. पद्मचन्द्र शास्त्री जी का कई वर्षों तक संरक्षण प्राप्त रहा है। अब वर्तमान में डॉ. जयकुमार जी जैन का सम्पादक के रूप में भरपूर सहयोग मिल ही रहा है। वीर सेवा मन्दिर में जो कार्य पूर्व में संजीव जैन, रजनीश शुक्ला और श्री सुरेश चन्द्र जी ने किया है, अब आलोक कुमार जैन, ललितपुर निवासी एवं श्री दिगम्बर जैन श्रमण संस्कृति संस्थान सांगानेर, जयपुर से अध्ययन कर चुके, को नियुक्त किया है। आशा है कि जैसा स्नेह और सहयोग पूर्व में पदस्थ लोगों को मिला है वैसा ही सहयोग आलोक कुमार जैन को भी मिलता रहेगा। जुलाई 2011 से वरिष्ठ विद्वान् पं. श्री निहालचन्द जैन, बीना (म. प्र.) संस्था में निदेशक पद पर पदस्थ हो चुके हैं।
आप जैसे विद्वानों के शोधालेखों के कारण ही अनेकान्त शोध पत्रिका निरन्तर प्रकाशित हो रही है। अतः आप अपने मौलिक, आगम-सम्मत और समसामयिक विषयों पर शोधपूर्ण आलेख प्रेषित कर सहयोग देते रहेंगे। सम्पादक मण्डल के द्वारा चयनित होने पर उसका प्रकाशन कर शोधालेख का उचित मानदेय भी आपको पत्रिका सहित प्रेषित किया जायेगा। आप अपने आलेखों के साथ उनके मौलिक एवं अप्रकाशित होने का प्रमाण पत्र भी प्रेषित करें।
महामंत्री वीर सेवा मन्दिर दरियागंज, नई दिल्ली