Book Title: Anekant 2011 Book 64 Ank 01 to 04
Author(s): Jaikumar Jain
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

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Page 384
________________ विज्ञप्ति हमारे दिगम्बर आम्नाय में, दो ग्रन्थ (1) षट्खण्डागम एवं (2) कषायपाहुडसुत्त पर पूज्य 108 आचार्य वीरसेन स्वामी ने जो टीकाएँ लिखीं हैं, (धवल, जयधवला एवं महाधवला) वे हमारे लिए महान ज्ञान के भण्डार हैं। परन्तु उन टीकाओं में भी आचार्यभगवन्त ने, पूर्व से परम्परित कुछ गाथाएँ प्रमाणरूप में उद्धृत की हैं। वे गाथाएँ हमारे लिए आगम के मूल आधार हैं। अतः उनका संकलन वीर सेवा मंदिर की ओर से कराना चाहते हैं। अतः हमारा विद्वानों से अनुरोध है कि वे इस कार्य में हमें अपेक्षित सहयोग प्रदान करें। इस कार्य के लिए उन्हें मानदेय की व्यवस्था भी की जा सकती है। उक्त कार्य विभिन्न विद्वान, पृथक पृथक खण्डों को लेकर भी कर सकते हैं। प्रत्येक खण्ड के लिए मानदेय की व्यवस्था अमुक विद्वान को देने का प्रावधान किया जा सकता है। इस कार्य में जो भी विद्वान जुड़ेंगे उन्हें इस पुनीत ग्रन्थराज का स्वाध्याय भी होगा, जिससे उनका विशेष ज्ञानार्जन के साथ पुण्यबंध होगा। इच्छुक मनीषी विद्वान, वीर सेवा मंदिर, 21, दरियागंज, नई दिल्ली-2 से पत्र द्वारा सम्पर्क करें ताकि यह पुनीत कार्य आगे बढ़ सके। -वीर सेवा मन्दिर 21, दरियागंज, नई दिल्ली -110002 दूरभाष:- 011-23250522

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