Book Title: Anekant 2011 Book 64 Ank 01 to 04
Author(s): Jaikumar Jain
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

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Page 370
________________ श्रावक और उनके षड् आवश्यक कर्त्तव्य 10. प्रश्नोत्तर श्रावकाचार, 24/100-113 11. धर्मसंग्रहश्रावकाचार, 6/26 12. कुन्दकुन्दश्रावकाचार, 3/5 13. देवाधिदेवचरणे परिचरणं सर्वदुःखनिर्हरणम्। कामदुहि कामदाहिनि परिचिनुयादादृतो नित्यम्।। रत्नकरण्डश्रावकाचार, 119 14. महापुराण, 27-29 15. महामुकुटबद्धैश्च क्रियमाणो महामहः। चतुर्मुखः स विज्ञेयः सर्वतोभद्र इत्यषि।। महापुराण, 27/30 16. महापुराण, 27/31 17. वही, 27/32 18. वही, 27/32 19. वही, 27/33-34 20. यशस्तिलक चम्पूगत उपासकाध्ययन, 8/448-449 21. प्रस्तावना पुराकर्म स्थापना संनिधापनम्। पूजा पूजाफलं चेति षड्विधं देवसेवनम्।। उपासकाध्ययन, 8/495 22. रत्नकरण्डश्रावकाचार, 10 23. धर्मसंग्रहश्रावकाचार, 43 24. धर्मोपदेशपीयूषवर्षश्रावकाचार, 1/3 25. उमास्वामीश्रावकाचार, 193-194 26. पद्मन्दिपञ्चविंशतिकागत श्रावकाचार, 18-19 27. धर्मसंग्रह श्रावकाचार, 6/211 28. वही, 6/212-215 29. उमास्वामीश्रावकाचार, 201 30. संस्कृत भावसंग्रह, 160 31. पुरुषार्थसिद्ध्युपाय, 198-199 32. चारित्रसार, 259 33. सागारधर्मामृत, 2/48 34. कुन्दकुन्दश्रावकाचार, 28 35. महापुराण, 35 36. सानुकम्पमनुग्राह्यये प्राणवृन्देऽभयप्रदा। त्रिशुद्धध्यनुगता सेयं दयादत्तिर्मता बुधैः।। महापुराण, 36 37. वही, 37 38. वही, 40 39. वही, 40 40. अमितगतिश्रावकाचार, 10/1 41. वही, 10/2

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