Book Title: Anekant 2011 Book 64 Ank 01 to 04
Author(s): Jaikumar Jain
Publisher: Veer Seva Mandir Trust
View full book text
________________
अनेकान्त 64/4, अक्टूबर-दिसम्बर 2011
91
12. क्षु, जिनेन्द्र वर्णी: जैनेन्द्र सिद्धान्त कोषः भारतीय ज्ञानपीठ, दिल्ली, 2003, भा. 2, पृ. 593 13. प्रो. महेन्द्र कुमार जैन, न्यायाचार्य: तत्त्वार्थवार्तिक (राजवार्तिक): भारतीय ज्ञानपीठ, दिल्ली,
2001, अ.1, सू.5, पृ.32-33 14. पं. बालभद्र सिद्धान्तशास्त्री: तिलोयपण्णत्तिः जैन संस्कृति संरक्षक संघ, सोलापुर, 2007, अ
1, गा. 83, पृ. 10 15. सिद्धान्ताचार्य पं. कैलाशचन्द्र शास्त्री: णयचक्कोः भारतीय ज्ञानपीठ, दिल्ली, 1999, गा. 171,
पृ. 98 16. डॉ. हीरालाल जैनः षट्खण्डागमः अमरावती, प्र. सं., 14-5; सिद्धान्ताचार्य पं. फूलचन्द
शास्त्री: धवलाजी: अमरावती, प्र. सं., पु.1, पृ. 10 17. पं. माणिकचन्द कौन्देय न्यायाचार्यः श्लोकवार्तिकः कुन्थसागर ग्रन्थमाला, सोलापुर, 1949,
पृ. 2, अ. 1, सू. 5 18. सिद्धान्ताचार्य पं. फूलचन्द्र शास्त्री: सर्वार्थसिद्धि: भारतीय ज्ञानपीठ, दिल्ली, 2009, अ.1, सूत्र
5, पृ. 13-14 19. पं. रतनचन्द जैनः आलापपद्धतिः भारतवर्षीय अनेकान्त विद्वत् परिषद्, लोहारिया (राज.),
2004, सूत्र 183 की टीका, पृ. 28-29
-प्राकृत जैनागम विभाग, श्री दि. जैन आचार्य संस्कृत महाविद्यालय
सांगानेर, जयपुर (राज) ३०२०२९

Page Navigation
1 ... 377 378 379 380 381 382 383 384