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अनेकान्त 64/3 जुलाई-सितम्बर 2011 स्वाध्याय नहीं करेंगे, तो उनकी संतान जैनधर्म के प्रति कतई अभिरुचि नहीं दिखायेगी। संकल्प करें कि हम स्वाध्याय करेंगे।
अन्त में आभार प्रदर्शन- संस्थान के मंत्री श्री योगेश जैन ने किया। कार्यक्रम के पश्चात् सम्माननीय अतिथियों के सत्कार में स्वल्पाहार रखा गया। संस्थान समय-समय पर इस प्रकार की गौरवपूर्ण व्याख्यानमालाओं का आयोजन करके ज्ञान की धारा को प्रवर्तमान किये हुए है विशेष बात यह भी रही कि इसमें श्रोता विद्वानों को भी आमंत्रित किया गया जिनकी संख्या लगभग 60 थी, जिन्होंने उपस्थित होकर व्याख्यानमाला की गरिमा को बढ़ाया। सभा का विसर्जन जिनवाणी स्तुति "वीर हिमाचलतें निकसी....." से हुआ ।
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प्रस्तुतिः पं निहालचन्द जैन, निदेशक वीर सेवा मंदिर, 21, दरियागंज, नई दिल्ली-110002
भाद्रपद मास की विशेषता
अहो भाद्रपदाख्योऽयं मासोऽनेक व्रताकरः।
धर्महेतुः परो मध्येऽन्य मासानां नरेन्द्रवत् ॥ मल्लिनाथ पुराण
अर्थात् अहो! भाद्रपद मास की क्या विशेषता है कि जो अनेक व्रतों का समूह है और धर्म का अर्जन करने में सहायक है। भाद्रपद मास अन्य सभी मासों में राजा के समान शोभा को प्राप्त होता है। जिस प्रकार मनुष्यों में चक्रवर्ती श्रेष्ठ होता है। इसका नाम भी सार्थक है- भाद्रपद अर्थात् कल्याण का परम स्थान । इस महीने में सोलह कारण, रोट तीज, पुष्पाञ्जलि व्रत, दशलक्षण पर्व, सुगन्ध दशमी, अनन्त चतुर्दशी, भगवान् वासुपूज्य का मोक्ष कल्याणक और रत्नत्रय व्रत (तेला) आदि व्रत होते हैं। इन सब में सबसे प्रमुख दशलक्षण महापर्व होता है जो कर्म निर्जरा का परम साधन है।