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अनेकान्त 64/4, अक्टूबर-दिसम्बर 2011
णमोकार मन्त्र-स्तुति
णमोकार मन्त्र को, प्रणाम हो प्रणाम हो। हे अनादि महामन्त्र, मंगल निष्काम हो।।
पहला अरिहन्त नाम, करता है कर्म नाश, जीवों को देता है ज्ञान सूर्य का प्रकाश, जय हो अरिहन्त देव, तुम्हीं धर्मधाम हो।
णमोकार मन्त्र को प्रणाम हो प्रणाम हो। दूजा है सिद्ध नाम, जन्म-मृत्यु से विहीन, अविचल हो वीतराग, सदा सर्व आत्म लीन। हे अनन्त सिद्ध शुद्ध, स्रष्टि के ललाम हो। णमोकार मन्त्र को, प्रणाम हो प्रणाम हो।
महाव्रती ज्ञानी, आचार्य नमस्कार हो, उपाध्याय ज्ञान-ज्योति, जहां अंधकार हो, विनयशील वीतराग साधु ज्ञानवान हों। णमोकार मन्त्र को प्रणाम हो प्रणाम हो।
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