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अनेकान्त 64/3, जुलाई-सितम्बर 2011
प्रयोज्य अंग:- मूल, तण्डुल, पत्र, पञ्चांग।
मात्रा- स्वरस 10-20 मि.ली., क्षार- 1/2-2 ग्राम। देहाती चिकित्सक नामक ग्रंथ में अपामार्ग के विषय में लिखा है कि चिरचिटा बूटी सांप और बिच्छू के जहर का उतार है अर्थात् सांप तथा बिच्छू के विष को यह चिरचिटा औषधि दूर कर देती है। इसकी जड़ को पानी में पीसकर पिलाने और काटे हुए स्थान पर लगाने से सांप तथा बिच्छू का विष उतर जाता है। कुत्ते के काटने पर भी यह औषधि देते हैं। कुत्ते के काटने पर चिरचिटा की पत्तियों को गुड़ के साथ पीसकर देते हैं उस काल में पीली वस्तु हल्दी आदि पदार्थ सेवन निषिद्ध माना गया है।
विष परीक्षण- कुत्ते के या अन्य किसी जानवर के काटने पर यदि संशय हो तो उसके परीक्षण के लिए कांसे की थाली को पीठ पर लगायें यदि विष होगा तो थाली पीठ पर चुम्बक की भाँति चिपक जाती है। यदि कम होगा तो कम चिपकेगी नहीं होगा तो नहीं चिपकेगी।
कुछ साधु सन्त लोग इस अपामार्ग को श्वांस रोग में भी प्रयुक्त करते हैं। दमा रोग में भी यह औषधि आराम देती है।
बवासीर रोग में यह औषधि अत्यन्त लाभकारी है। इसके सात पत्ते, सात काली मिर्च के दानों के साथ पीसकर छानकर पिलाने से बवासीर का खून रुक जाता है और पत्तों को कुचलकर इसकी टिकिया बनाकर कुछ हल्की गर्म बांधने से मस्से मुरझाकर गिर जाते
यह अपामार्ग औषधि वर्मों को घुलाती है। इसके पत्तों पर तेल लगाकर गर्म करके चन्दवार बांधने से हर प्रकार के फोड़े फुन्सी ठीक हो जाते हैं।
क्षार- इस अपामार्ग को जलाकर क्षार तैयार किया जाता है जो अपामार्ग क्षार कहा जाता है। यह क्षार भोजन को शीघ्र पचाता है। भूख लगाता है और शरीर से अतिरिक्त अपान वायु को बाहर निकालता है। इसके प्रयोग से छाती का कफ (बलगम) निकल जाता है। यह खांसी, दमा, पेट का दर्द, बड़े हुए यकृत (लिवर) और तिल्ली को ठीक करता है।
पीलिया रोग में अधिकांश ग्रामीण जन अपामार्ग की माला को धारण करते हैं। यह माला अपामार्ग की टहनी को छोटा-छोटा काटकर रेशम के धागे में गर्दन में फंसाकर बांधते हैं और जैसे-जैसे पीलिया रोग ठीक होता जायेगा वैसे-वैसे यह माला बढ़ती जाती
अपामार्ग का क्षार जलोदर रोग में बहुत उपयोगी है। इस क्षार को आधे माशे से एक माशे की मात्रा तक ऊँटनी के दूध के साथ दिया जाता है। आधा शीशी रोग में इसके रस को कान में डालते हैं। इससे 15-20 वर्ष पुराना सिर का दर्द गायब हो जाता है। यह औषधि प्रातः सूर्योदय के पहले अधिक प्रभावशाली रहती है। एक सांप-बिच्छू वाले बंगाली ने बताया कि अपामार्ग की जड़ को हाथ में पकड़ने से बिच्छू डंक नहीं मारता।
कभी-कभी कफ के साथ रक्त आ जाता है तो अपामार्ग के सात पत्ते पीसकर पिलाने से रक्त बहना बन्द हो जाता है। लाल पेचिश में अपामार्ग सर्वोत्तम चिकित्सा है। फूड