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अनेकान्त 64/3, जुलाई-सितम्बर 2011
6. यह स्तोत्र श्री वादिराजसूरि के संस्कृत एकीभाव स्तोत्र का भावानुवाद है। यथा
शबद काव्य हित तर्कमें, वादिराज सिरताज। एकीभाव प्रगट कियौ, धानत भगति जहाज।।26।। 7. पण्डित नाथूराम प्रेमीकृत सुगम हिन्दी टीका सहित श्री जैन ग्रंथ रत्नाकर कार्यालय, पो.
गिरगांव, बम्बई द्वारा सन् 1926 में द्वितीयावृत्ति के रूप में प्रकाशित। 8. द्रष्टव्य, हिन्दी जैन भक्ति काव्य और कवि, लेखक- डॉ. प्रेम सागर जैन, प्रकाशक-भारतीय
ज्ञानपीठ, वाराणसी, प्रथम संस्करण, सन् 1964, पृष्ठ 281-283 9. द्रष्टव्य, धर्मविलासः आरती दशक, पृष्ठ 149-156 10. द्रष्टव्य, जैन पूजा-काव्य एक चिंतन: भारतीय ज्ञानपीठ, प्रथम संस्करण, सन् 2005, पृष्ठ
149-151 11. द्रष्टव्य, श्री आध्यात्मिक पाठ संग्रह, संपादक- पं. श्रेयांस कुमार जैन शास्त्री, प्रकाशक-श्री
मगनलाल हीरालाल पाटनी, दि. जैन पारमार्थिक ट्रष्टांतर्गत श्री पाटनी दि. जैन ग्रंथमाला,
मारोठ (मारवाड़), प्रथम संस्करण, मई 1951 12. तीर्थंकर महावीर और उनकी आचार्य परंपरा, 4/278 13. तीर्थंकर महावीर और उनका आचार्य परंपरा, 4/279 14. तीर्थंकर महावीर और उनका आचार्य परंपरा, 4/279 15. हिन्दी जैन भक्ति काव्य और कवि, पृष्ठ 287 16. द्यानतराय की यह लघुकृति श्रीमती शैल बंसल द्वारा संकलित एवं समन्वय वाणी जिनागम
शोध संस्थान, जयपुर द्वारा सन् 2010 में प्रकाशित छहढाला त्रयी में पृष्ठ 24 से 30 तक संकलित की गई है, जो मात्र 49 पद्यों में समाहित है।
आवास-निर्वाण भवन,
बी-2/249, लेन नं. 14 रवीन्द्रपुरी, वाराणसी (उ.प्र.)
मो. 91-9235693230
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