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अनेकान्त 64/2, अप्रैल-जून 2011
इस प्रकार हम देखते हैं। कि प्राकृत और संस्कृत भाषा एक दूसरे से गहनतया प्रभावित हैं और इस तथ्य की पुष्टि प्राकृत- भक्ति साहित्य पर संस्कृत भाषा के प्रभाव से होती है।
संदर्भः
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अट्ठविहकम्ममुक्के अट्ठगुणड्ढे अणोवमे सिद्धे ।
अट्टमपुनिणिचिट्टे गिट्टिको स.भ. गाथा
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तित्थयरेदरसिद्धे जलथल आयासणिव्वुदे सिद्धे ।
अंतयडेदरसिद्धे उक्कस्सजहण्णमज्झिमोगाहे ॥ सि. भ. गाथा 2
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उड्ढमहतिरियलोए छव्विकाले य णिव्वुदे सिद्धे ।
उवसग्गणिरुसमग्गे दीवोदहिणिव्वुदे य वंदामि ।। सि. भा गाथा 3 10. वही
11. पच्छायडेय सिद्ध दुगतिगचदुणाण-पंच-चदुरजमे । परिपडिदापपरिपडिदे संजमसम्मत्तणाणमादीहिं ।
12. पुंवेदं वेदंता जे पुरिमा खवगसेढिमारुढा ।
सेसोदयेण वि तहा झाणुवजुत्ता य ते हु सिज्झति ।। -सि भा गाथा 6 13. वही
14. मणुयणादसुरपरिवत्ततया पंचकल्याणसोकावलीपत्तवा
दसणं णाणझाणं अणतं बलं ते जिणा दिंतु अम्हं वरं मंगलं ।। पं.भ.गा. 1 15. वही
16. संजदेण मए सम्मं सव्वसंजमभाविणा ।
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सव्वसंजमसिद्धीओ लब्भदे मुत्तिजं सुहं ॥ चा.भ.गा. 10 17. वही
सि. भा गाथा 5
प्राकृत - अध्ययन शोध-केन्द्र राष्ट्रिय संस्कृत संस्थान (मानित विश्वविद्यालय ) जयपुर परिसर, जयपुर (राजस्थान )